नई दिल्‍ली : असहिष्‍णुता मामले को लेकर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान को करार जवाब दिया है। संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद गुरुवार को लोकसभा में राजनाथ सिंह ने कहा कि अपमान झेलने के बावजूद बाबा साहेब अंबेडकर देश में ही रहे, उन्‍होंने देश नहीं छोड़ा। भारत के मूल स्‍वभाव में ही लोकतंत्र है।


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

गौर हो कि संसद का शीतकालीन सत्र गुरुवार को शुरू हुआ।  पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत पहले दो दिनों तक संविधान पर चर्चा शुरू की गई। संविधान पर चर्चा के दौरान ही गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपरोक्ष रूप से कथित 'असहिष्णुता' पर भी हमला बोल दिया। विपक्ष ने इस पर हंगामा करने की कोशिश भी की। गौरतलब है कि इस वर्ष डॉ. अंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई जा रही है।   


राजनाथ ने कहा, डा. अंबेडकर ने कहा था कि मेरा भी भारत में अपमान हुआ था। लेकिन बाबा साहेब ने कभी भारत छोड़ने की बात नहीं की। अपमान झेलने के बावजूद वे भारत में रहे। उन्‍होंने कहा कि अंबेडकर धर्मनिरपेक्षता को भारत का मूल स्‍वभाव मानते थे। उन्‍होंने कहा कि श्रमिक कल्‍याण में अंबेडकर का अहम योगदान है। कई जल परियोजनाएं अंबेडकर के मस्तिष्‍क की उपज हैं। अंबेडकर ने आर्थिक नीतियों की आधारशिला रखी और बराबरी का दर्जा दिलाया।
 
गृह मंत्री ने यह भी कहा कि आरक्षण एक सामाजिक व्‍यवस्‍था है। आरक्षण पर किसी तरह के बहस की जरूरत नहीं है। आरक्षण एक संवैधानिक मसला है। उन्होंने कहा कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस पर कोई बहस होनी ही नहीं चाहिए। साथ ही अंबेडकर की श्रमिक अधिकारों को लेकर चिंता का जिक्र भी किया। भारतीय संविधान के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना दुनिया की सबसे बेहतरीन है। संविधान में केंद्र और राज्य के अधिकारों की चर्चा को लेकर भी केंद्रीय गृहमंत्री ने बयान दिया। संवैधानिक नैतिकता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। सेक्‍युलर के लिए धर्मनिरपेक्ष शब्‍द का इस्‍तेमाल बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समय देश में 'सेक्यूलर' शब्द का गलत इस्तेमाल सबसे ज्यादा हो रहा है। साथ ही उन्होंने  कहा कि देश में सेक्यूलर शब्द का हिंदी अनुवाद आम तौर पर 'धर्म निरपेक्ष' किया जाता है। राजनाथ सिंह ने कहा कि यह गलत है और इसकी जगह सही शब्द 'पंथ निरपेक्ष' का इस्तेमाल होना चाहिए।


उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष शब्द का प्रयोग बंद होना चाहिए। इसके स्थान पर पंथ निरपेक्षता का इस्तेमाल होना चाहिए। बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर ‘भारत के संविधान के प्रति प्रतिबद्धता’ विषय पर दो दिवसीय चर्चा की शुरूआत करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि 42वें संविधान संशोधन के जरिए संविधान की प्रस्तावना में ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द जोड़े गए। उन्होंने परोक्ष रूप से इस पर आपत्ति जतायी और कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यदि जरूरत समझी जाती तो इन शब्दों को डा. भीमराव अम्बेडकर संविधान निर्माण के समय ही शामिल कर सकते थे। लेकिन उन्होंने इसकी जरूरत नहीं समझी थी क्योंकि ये सब चीजें पहले से ही हिंदुस्तान की चारित्रिक विशेषताओं का हिस्सा हैं।


उन्होंने कहा कि आज संविधान की प्रस्तावना में निहित ‘सेक्युलर’ शब्द का सर्वाधिक दुरूपयोग हो रहा है जिसे हर हाल में रोका जाना चाहिए। संविधान को देश का सबसे पवित्र ग्रंथ बताते हुए राजनाथ ने कहा कि संविधान के प्रति प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आनी चाहिए। उन्होंने सांसदों से दलगत राजनीति से उपर उठकर संवैधानिक नैतिकता की शपथ लेने की अपील की और कहा कि संवैधानिक नैतिकता से बंधे होने पर कोई किसी प्रकार का सवालिया निशान नहीं लगा सकता।  


राजनाथ ने भगवान राम को सबसे बड़ा लोकतांत्रिक बताते हुए कहा कि समाज के हाशिये पर खड़े एक व्यक्ति के उंगली उठाने मात्र से उन्होंने अपनी पत्नी सीता से अग्नि परीक्षा मांग ली थी। गृह मंत्री ने देश में कथित असहिष्णुता के नाम पर देश छोड़ने की बात करने वालों को निशाने पर लेते हुए कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर को समाज के निचले तबके से ताल्लुक रखने के कारण कई बार अपमान, प्रताड़ना और तिरस्कार का शिकार होना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी देश छोड़ने की बात नहीं कही।


उधर, कांग्रेस इस मामले पर सरकार को आड़े हाथ लिया। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अंबेडकर पर गलतबयानी नहीं की जानी चाहिए। अंबेडकर मूल निवासी थे, वे देश से जाने वाले नहीं थे।