Raja Bhaiya Bhupendra Chaudhary Meeting: जनसत्ता दल के अध्यक्ष और कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह (Raghuraj Pratap Singh) उर्फ राजा भैया (Raja Bhaiya) को लेकर यूपी में सियासी हलचल तेज हो गई है. राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Elections) से पहले समाजवादी पार्टी के साथ ही BJP भी राजा भैया को अपने पाले में लाने में जुट गई है. दरअसल, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल और राजा भैया की मुलाकात के 24 घंटे के अंदर ही बीजेपी का खेमा भी राजा भैया से मुलाकात करने पहुंचा. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने राजा भैया से मुलाकात की. आइए समझते हैं कि यूपी के राज्यसभा चुनाव में राजा भैया और उनकी पार्टी के 2 विधायक इतने अहम क्यों हो गए हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

राजा भैया से मुलाकात के मायने


बता दें कि राजा भैया और यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की मुलाकात लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्यसभा के लिए भी अहम मानी जा रही है. इससे पहले 20 फरवरी को एसपी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने भी राजा भैया से मुलाकात की थी. इस दौरान, नरेश उत्तम पटेल ने राजा भैया की अखिलेश यादव से बात भी करवाई थी. अखिलेश ने राजा भैया से राज्यसभा चुनाव के लिए समर्थन मांगा था.


राज्यसभा चुनाव में राजा भैया अहम क्यों?


गौरतलब है कि यूपी की 10 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी की 7 और सपा की 3 सीटों पर जीत तय मानी जा रही थी. लेकिन बीजेपी ने 11वां प्रत्याशी उतार दिया है. ऐसे में समाजवादी पार्टी और बीजेपी दोनों ही राजा भैया से समर्थन चाहती हैं. फिलहाल राजा भैया के पास 2 विधायक हैं. एक वो खुद दूसरे विनोद सरोज जो कि बाबागंज से विधायक हैं.


किसका साथ देंगे राजा भैया?


जान लें कि सबकी नजर है कि राजा भैया किस पाले में रहेंगे. क्या वो अखिलेश का साथ देंगे या बीजेपी प्रत्याशी को वोट करेंगे. जान लें कि बीजेपी ने अपने 8वें प्रत्याशी के तौर पर समाजवादी पार्टी के पुराने नेता सलिल सेठ को उम्मीदवार बनाया है. सलिल सेठ, मुलायम सिंह यादव के करीबी रह चुके हैं. दावा किया जाता है कि बीजेपी का प्रत्याशी होने के साथ ही सलिल सेठ की जान-पहचान सपा में भी अच्छी खासी है. सलिल सेठ के चुनावी मैदान में उतरने से राज्यसभा इलेक्शन दिलचस्प हो गया है.