मोदी सरकार ने भारी हंगामे के बीच राज्यसभा में कृषि बिल ध्वनिमत से पास कराया
विपक्ष के भारी हंगामे के बीच कृषि विधेयक रविवार को राज्य सभा में पास हो गया. सदन में बिल पर चर्चा के दौरान जोरदार हंगामा हुआ.
नई दिल्ली: विपक्ष के भारी हंगामे के बीच कृषि विधेयक रविवार को राज्य सभा में पास हो गया. सदन में बिल पर चर्चा के दौरान जोरदार हंगामा हुआ. विपक्ष के सांसदों ने आसन के सामने लगे माइक को तोड़ दिया. टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रूल बुक फाड़ दी. दरअसल, सदन की कार्यवाही 1 बजे पूरी होनी थी. उपसभापति ने कार्यवाही को विधेयक के पारित होने तक बढ़ाने का फैसला लिया.
इस पर विपक्ष के सांसदों ने हंगामा किया. विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित भी करनी पड़ी. बाद में राज्यसभा ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी.
इससे पहले, आज राज्यसभा में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कृषि विधेयकों को पेश किया और कहा कि इस बिल से किसानों का जीवन स्तर सुधरेगा. तोमर ने कहा कि फसलों के लिए MSP जारी रहेगा. इधर, विपक्षी दलों ने बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की है. देशभर में बिल को लेकर लगातार विरोध-प्रदर्शन जारी है. तोमर ने कहा, 'किसान की भूमि के साथ कोई छेड़छाड़ न हो, इसका भी प्रावधान बिल में किया गया है. देश का किसान देश का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है. किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा.'
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा, 'पंजाब और हरयाणा के किसान समझते हैं कि ये उनकी आत्मा पर बहुत बड़ा आघात है. कांग्रेस इसे खारिज करती है. किसान का बेटा होने के नाते किसानों के डेथ वारंट पर किसी तरह साइन करने को तैयार नहीं. मुझे हैरानी हुई कि इस वक्त इस बिल को लाने की जरूरत क्या है, जब कोरोना एक लाख केस निकल रहे हैं. जब चीन बॉर्डर पर बैठा है, तब इसकी जरूरत क्या है.' बाजवा ने कहा, 'एमएसपी को खत्म करने का तरीका है. यही हाल अमेरिका में हुआ है. किसानों की तीस प्रतिशत जमीने कॉरपरेट हाउस ले गए. किसान सड़कों पर है.'
बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव ने राज्य सभा में बाजवा के बयान पर कहा, '70 साल से किसान जिस न्याय की अपेक्षा कर रहा था. उसी के लिए ये बिल लाया गया है. सत्तर के दशक में पंजाब--हरियाणा एक था. देश आगे बढ़ गया है और आपके भाषण पुराने न रह जाए, आपने साठ साल शासन किया. आपकी पार्टी की नीतियां ले कर आई, उसकी वजह से ग्रामीण आय काम क्यों है. किसान की आमदनी क्यों नहीं बढ़ी.'
सुशील गुप्ता AAP: हिन्दुस्तान का किसान आपको मा नहीं करेगा और आपको ये कानून वापस लेना पड़ेगा.
राम दास अठावले, RPI: आज के दिन किसानों के न्याय का दिन है. अगर किसानो को बाहर की मंडी में ज्यादा पैसा मिलता है तो उन्हें बेचने का हक है. मै आरपीआई की तरफ से इस बिल का सपोर्ट करता हूं.
प्रफुल्ल पटेल एनसीपी: मेरा यही कहना है कि क्रांतिकारी बिल लाकर किसानों की स्थिति सुधारना चाहते थे तो पहले शरद पवार जैसे नेता से बात करनी चाहिए थी. आज जैसे अनाज का उत्पादन कर रहे हैं वो किसनो की देन है. शुरुआत में पंजाब-हरियाणा ने जैसे अनाज की पैदावार करके पूरी किया और देश की उन्नति में योगदान किया है. आज महाराष्ट्र में भी गांव-गांव में नए पैदावार में रुचि दिखाई है.
केशव राव, टीआरएस: इस बिल में ऐतिहासिक क्या है? जिस देश की संस्कृति कृषि है, उसे कॉरपरेट के हाथों में गिरवी रखने वाला है.
टीकेएस एलंगोवन, डीएमके: ये बिल किसनओ का अपमान है. इस सरकार को बिल लाने का हक नहीं है. ये राज्यों का हक है. ये किसानों को गुलाम बनाने वाला बिल है.
विजय साई रेड्डी, YSRCP: जो किसान दिन-रात काम करता है खेत में, उसे दिक्कत होती है. उसे सही दाम मिलना चाहिए और उसे फसल से पहले निर्धारण होना चाहिए. इसमें तंबाकू को शामिल करना चाहिए. हमारा स्टैंड है कि ये बिल किसानों के लिए सही है. आंध्र प्रदेश में एमएसपी फसलों की सही है. ये कांग्रेस पार्टी की हिप्पोक्रेसी है. क्यों अपना स्टैंड बदल दिया. कांग्रेस पार्टी के पास इस बिल का विरोध करने का कोई हक नहीं है.
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