Ayodhya Ram Mandir: कितनी अद्भुत होगी राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होने वाली रामलला की मूर्ति? कैसे चुनी जाएगी, आप भी लीजिए जान
Ram Mandir Idol: अयोध्या के राम मंदिर में विराजमान होने वाली भगवान श्रीराम की मूर्ति कैसी होगी, इसका पता चल गया है. आइए मूर्ति चुने जाने के पूरे प्रोसेस के बारे में जान लेते हैं.
Ram Idol in Ayodhya: राम भक्तों का 500 साल इंतजार आने वाली 22 जनवरी को खत्म हो जाएगा. भगवान रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. आइए जान लेते हैं कि राम मंदिर में विराजित होने वाली रामलला की मूर्ति (Ram Lala Idol) कैसी होगी? बता दें कि अयोध्या के राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की जो मूर्ति विराजित होगी, उसे चुनने के कुछ पैमाने तय हुए हैं. राम मंदिर के लिए तीन शिल्पकारों ने 3 मूर्तियां बनाई हैं. इनमें दो मूर्तियां श्याम शिला और एक सफेद संगमरमर की है. इन्हीं तीनों में एक का चुनाव आज किया जा सकता है. ये तीनों मूर्तियां प्रभु श्रीराम के 5 साल के बाल स्वरूप की हैं. तीनों मूर्तियां 51 इंच लंबी हैं. कर्नाटक के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स ने तीनों मूर्तियों के पत्थर की जांच की है.
कैसी होगी भगवान रामलला की मूर्ति?
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, गर्भगृह में विराजित होने वाली मूर्ति वैसी होगी, जैसे प्रभु श्रीराम का वर्णन वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में मिलता है. आईआईटी हैदराबाद के एक्सपर्ट, शंकराचार्य और संत भगवान रामलला मूर्ति को चुनेंगे.
मूर्ति चुनने में किन फैक्टर्स का रखा जाएगा ध्यान?
उन्होंने आगे कहा कि मूर्ति को चुनने में कई फैक्टर्स का ध्यान रखा जाएगा. इसके लिए तीनों पत्थरों पर चंदन और लेप के प्रभाव की स्टडी की जाएगी ताकि मूर्ति पर निशान या दाग ना पड़ें. जिस पत्थर की उम्र ज्यादा होगी. जिसकी चमक सालों-साल तक चलेगी. जिसके ऊपर सूर्य का प्रकाश ज्यादा आकर्षक लगेगा, उसी मूर्ति को चुना जाएगा. तीनों में कौन सी मूर्ति चुनी गई है, इसके बारे में जनवरी के पहले हफ्ते में जानकारी दी जाएगी.
रामायण में कैसा है प्रभु श्रीराम का स्वरूप?
वाल्मीकि रामायण में भगवान श्रीराम का चेहरा चंद्रमा के समान सौम्य, कांतिवान, आंखें बड़ी और कमल के समान, नाक उन्नत और सुडौल, होंठों का रंग उगते सूर्य की तरह, कान बड़े और बाल लंबे और चमकदार बताए गए हैं.
कैसे परखी जाएगी मूर्ति की अलौकिकता?
- बाल स्वरूप की मूर्ति में मर्यादा, गंभीरता और साहस का भाव दिखना चाहिए.
- निच्छल मुस्कान दिखनी चाहिए, पर उसमें बालकृष्ण जैसा नटखटपन नहीं हो.
- आंखों में दैवीय सहजता के साथ गंभीरता भी दिखनी चाहिए.
- हावभाव अलौकिक और मन की शांति दिखाने वाला हो.