DNA Analysis: क्या घुसपैठिए रोहिंग्या मुसलमानों पर मोदी सरकार का हो गया है हृदय परिवर्तन! दिल्ली में देने जा रही फ्लैट?
Rohingya Muslims: क्या देश में अवैध रूप से घुसे हजारों रोहिंग्या मुसलमानों के प्रति मोदी सरकार का रुख नरम हो गया है. केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को रोहिंग्या को लेकर ऐसी घोषणा की, जिससे बड़ा विवाद पैदा हो गया.
Rohingya Muslim Controversy: रोहिंग्या समस्या पर देश में नया विवाद खड़ा हो गया है. बुधवार दोपहर से पूरे देश में एक ही चर्चा है कि क्या रोहिंग्या घुसपैठियों को लेकर केंद्र सरकार का हृदय परिवर्तन हो गया है? क्या रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya Muslim) को सरकार अब देश की सुरक्षा के लिये खतरा नहीं मानती? क्या रोहिंग्या को निकालने की बजाए सरकार उन्हें पक्का घर देकर देश में ही बसाना चाहती है?
देश में सरकारी सुविधाएं पाने का पहला हक किसका?
ये विवाद क्यों खड़ा हुआ? इसमें ग़लतफहमी कहां हुई. इसका पूरा सच क्या है. इसपर बात करेंगे. लेकिन उससे पहले हम एक सवाल पूछना चाहेंगे. सवाल ये है कि देश में सरकारी सुख-सुविधा पाने का पहला हक किसका है? उसका, जो देश में घुसपैठिये की तरह घुसा है और जो देश के लिये खतरा पैदा कर रहा है? या फिर उसका, जो देश में पैदा होकर भी बेघर है और अपने ही देश में शरणार्थी की तरह दर-दर भटक रहा है? छोटे से मकान और बिजली-पानी के कनेक्शन पर पहला हक कश्मीर से बेघर हुए हिंदू शरणार्थियों का है या फिर म्यांमार-बांग्लादेश से चोरी छिपे भारत में घुसे और बसे रोहिंग्या घुसपैठियों (Rohingya Muslim) का है?
पहले आपको आज का पूरा घटनाक्रम बताते हैं. और ये भी बताते हैं कि इस विषय पर राजनीति के पीछे किस तरह के स्वार्थ हैं. ये विवाद आज केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) के एक ट्वीट से शुरू हुआ. इस ट्वीट में हरदीप पुरी ने लिखा, 'भारत ने हमेशा उनका स्वागत किया है जिन्होंने देश में शरण मांगी है. एक ऐतिहासिक फ़ैसला करते हुए सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाला इलाक़े में EWS फ्लैट्स में शिफ्ट किया जाएगा. उन्हें मूलभूत सुविधाएं, UNHRC आईडी और चौबीसों घंटे दिल्ली पुलिस की सुरक्षा प्रदान की जाएगी.'
हरदीप सिंह पुरी ने रोहिंग्याओं को फ्लैट देने की घोषणा की
बीजेपी रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya Muslim) को घुसपैठिये के तौर पर देखती है और उन्हें देश की सुरक्षा के लिये बड़ा खतरा मानती है. ये बीजेपी का आधिकारिक स्टैंड है और यही स्टैंड बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र की सरकार का भी रहा है. इसलिये हरदीप पुरी का ये ट्वीट सरकार की रोहिंग्या नीति के एकदम उलट और चौंकाने वाले लगा. सवाल उठना स्वाभाविक था कि क्या रोहिंग्या पर बीजेपी की नीति बदल गई है?
हरदीप पुरी का ये ट्वीट आते ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने इसे तुरंत राजनीतिक अवसर में बदल दिया. उसके नेता सौरभ भारद्वाज ने ट्वीट करके कहा, 'बीजेपी ने ही दिल्ली में हज़ारों रोहिंग्याओं को बसाया है. अब रोहिंग्या को पक्के घर और दुकान देने की तैयारी कर रही है. दिल्ली के लोग ऐसे नहीं होने देंगे.'
विरोध के बाद गृह मंत्रालय ने जारी किया खंडन
लेकिन इससे ज्यादा मायने सरकार के लिये उस प्रतिक्रिया के थे, जो इस रोहिंग्या (Rohingya Muslim) आवास-पुनर्वास योजना पर RSS से जुड़े हिंदू संगठनों की ओर से आई. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तुरंत बयान जारी किया और रोहिंग्या को फ्लैट देने या कहीं शिफ्ट करने की बात को खारिज कर दिया. गृह मंत्रालय ने कहा, रोहिंग्या अवैध प्रवासियों को किसी भी EWS फ्लैट में शिफ्ट करने का कोई फैसला गृह मंत्रालय ने नहीं किया है. दिल्ली सरकार ने रोहिंग्याओं को नई जगह शिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया था. गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि रोहिंग्या जो अवैध प्रवासी है और कंचन कुंज, मदनपुर खादर में रह रहे हैं, उन्हें वहीं रहना है. विदेश मंत्रालय के जरिए इन अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के लिए उन देशों से बातचीत की गई है. अवैध प्रवासियों को कानून के मुताबिक उनको अपने देश भेजने तक डिटेंशन सेंटर में रखा जाना है. दिल्ली सरकार ने वर्तमान स्थान को डिटेंशन सेंटर घोषित नहीं किया है. उन्हें तत्काल ऐसा करने के निर्देश दिए गए हैं.'
गृह मंत्रालय के इस बयान की 5 बड़ी बातें ये थीं कि-
1 - रोहिंग्या अवैध प्रवासी हैं.
2 - रोहिंग्या को वापस भेजा जाएगा.
3 - रोहिंग्या डिटेंशन सेंटर में ही रहेंगे.
4 - जहां रहे हैं उसे डिटेंशन सेंटर घोषित किया जाएगा.
5 - दिल्ली सरकार ने शिफ्ट करने का प्रस्ताव भेजा था.
बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर लगाया आरोप
सरकार की ओर से स्थिति साफ करने के बाद बीजेपी ने प्रेस कांफ्रेंस की और आम आदमी पार्टी पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया. बीजेपी के मुताबिक़- रोहिंग्या को पक्के EWS फ्लैट्स में शिफ्ट करने का फैसला 29 जुलाई को दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया था. बीजेपी ने आरोप लगाया कि ये दिल्ली के मुख्यमंत्री की तुष्टिकरण की नीति है जिसमें उन्हें दिल्ली वालों की नहीं, रोहिंग्या घुसपैठियों (Rohingya Muslim) की ज़्यादा चिंता है.
अब आपको दिल्ली सरकार का वो Request Letter दिखाते हैं, जिसमें रोहिंग्या घुसपैठियों को फ्लैट में शिफ्ट करने मांग की गई है. इसमें सबसे ऊपर URGENT लिखा है, मतलब जल्द से जल्द इसपर कार्रवाई की जाए. जो SUBJECT है, उसमें लिखा है कि सभी EWS फ्लैट जो बक्करवाला में है, का RESTRICTION CENTER के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए अलॉट किया जाए. इस लेटर में कई जगह बांग्लादेश और म्यांमार के अवैध प्रवासी का जिक्र किया गया है. साथ ही देश की सुरक्षा के लिए इन सबको फ्लैट्स में रखने की मांग की गई है. लेटर की आखिरी लाइन देखें, जिसमें लिखा है कि विदेशी अवैध प्रवासियों को रहने के लिए इन फ्लैट्स में बुनियादी सुविधाओं के साथ शिफ्ट कर दिया जाए.
रोहिंग्या देश के लिए बड़ा खतरा क्यों?
रोहिंग्या (Rohingya Muslim) क्यों देश के लिये बड़ा ख़तरा हैं, ये बताने से पहले आपको बताते हैं कि रोहिंग्या कौन हैं और भारत के लिये ये क्यों बड़ी समस्या हैं. इस्लाम को मानने वाला रोहिंग्या एक जातीय समुदाय है. रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहते थे. रखाइन म्यांमार के उत्तर-पश्चिमी सीमा पर जो बांग्लादेश के बॉर्डर से जुड़ा है. म्यामांर इन्हें अपना नागरिक नहीं मानता है. 1982 में म्यांमार ने रोहिंग्या को नागरिकता से वंचित कर दिया. बार-बार नरसंहार के बाद रोहिंग्याओं ने म्यांमार से पलायन शुरू कर दिया.
बड़ी संख्या में रोहिंग्या (Rohingya Muslim) बांग्लादेश में बस गए. बांग्लादेश के बाद रोहिंग्या की एक बड़ी तादाद चोरी-छिपे घुसपैठ करते हुए भारत में आती रही. रोहिंग्या की एक बड़ी संख्या कई वर्षों से भारत के अलग-अलग हिस्सों में रह रही है.
देशभर में फैल चुके हैं रोहिंग्या मुसलमान
गृह मंत्रालय के मुताबिक रोहिंग्या भारत में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, मणिपुर में रह रहे हैं. इन आंकड़ों से आप समझ सकते हैं कि रोहिंग्या ने कितने बड़े स्तर पर भारत में घुसपैठ की है और कहां-कहां तक ये फैले हुए हैं.
वसुधैव कुटुंबकम को मानने वाले भारत को शरणार्थियों से कभी समस्या नहीं रही. भारत को समस्या शरणार्थियों के वेष में घुसपैठियों से है. गृह मंत्रालय का अनुमान है कि इस समय देश में 40 हजार रोहिंग्या है. जबकि United Nations High Commissioner for Refugees के मुताबिक देश में 18 हजार रोहिंग्या (Rohingya Muslim) ही रजिस्टर्ड हैं. यानी रजिस्टर्ड संख्या से दोगुनी संख्या उन रोहिंग्या की है जिनके पास दस्तावेज नहीं है, जिनका भारत में प्रवेश करने का तरीका ईमानदार नहीं है और जिनके इरादे भी स्पष्ट नहीं हैं. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दिया था. जिसमें उसने कहा था कि भारत अवैध घुसपैठियों की राजधानी नहीं बन सकता. इस हलफ़नामे में केंद्र सरकार ने कहा था-
रोहिंग्या कैसे खतरनाक
- रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
- रोहिंग्याओं की घुसपैठ में पाकिस्तान के आतंकी संगठन शामिल हैं. ये आतंकी संगठन उन्हें भारत के खिलाफ़ इस्तेमाल कर सकते हैं.
- सुरक्षा एजेंसियों को रोहिंग्याओँ के ISI से जुड़े होने के सबूत मिले हैं.
- इसके अलावा कट्टरपंथी संगठनों से भी रोहिंग्याओं के संबंध होने के सबूत मिले हैं.
- रोहिंग्याओं के जरिए देश में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की साजिश हो सकती है.
- रोहिंग्या हवाला और दूसरे अवैध तरीकों से पैसे जुटा रहे हैं.
- फर्जी पैन कार्ड और वोटर कार्ड के जरिए ये पैसे जुटाए जाते हैं.
- सरकार ने रोहिंग्या को मानव तस्करी में भी शामिल बताया था.
- हलफ़नामे में ये भी कहा गया था कि देश के कई हिस्सों में रोहिंग्या के कारण जनसंख्या का धार्मिक असंतुलन हो रहा है.
DNA में ही हम आपको भारत के सीमावर्ती राज्यों में रोहिंग्याओं (Rohingya Muslim) के कारण धार्मिक असंतुलन और उसके खतरों पर कई रिपोर्ट दिखा चुके हैं. गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रोहिंग्या को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बता चुके हैं.
'देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का'
आपको देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कुछ वर्ष पहले दिया वो बयान याद होगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक़ अल्पसंख्यकों का है. अब राजनीति का स्तर यहां पहुंच गया है कि इस हक को घुसपैठियों के लिए आरक्षित करने की कोशिश की जा रही है. जबकि हमारे देश के अंदर ही कश्मीर से विस्थापित हुए हिंदू पिछले 30 वर्षों से शरणार्थी का जीवन जी रहे हैं. ये लोग आज भी कच्ची बस्तियों में रह रहे हैं. यही स्थिति पाकिस्तान से भागकर आए हिंदू परिवारों की भी वर्षों से है. सवाल उठता है कि जो अपने ही देश में शरणार्थी है, उसके लिये ये दर्द क्यों नहीं उमड़ता जो रह-रहकर रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya Muslim) के लिये उमड़ता है. क्या तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति के लिये?
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