RSS News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मतभेदों का सम्मान किया जाना चाहिए और एकजुटता सद्भाव से रहने की कुंजी है. इसके साथ ही महाराष्‍ट्र के ठाणे में उन्‍होंने ज्ञान और समर्पण से काम करने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि उद्यमशील होना महत्वपूर्ण है, लेकिन आपको हमेशा ज्ञान के साथ अपना काम करना चाहिए. बिना सोचे-समझे किए गए किसी भी काम का फल नहीं मिलता बल्कि ऐसा काम परेशानी पैदा करता है.


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भागवत ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए चावल पकाने की तुलना किसी भी काम में ज्ञान की आवश्यकता से की. उन्होंने कहा कि अगर आप चावल पकाना जानते हैं तो आपको पानी, गर्मी और चावल की जरूरत होगी. लेकिन अगर आप नहीं जानते कि इसे कैसे पकाना है और इसके बजाय आप सूखे चावल खाते हैं, पानी पीते हैं और घंटों धूप में खड़े रहते हैं तो यह भोजन नहीं बन पाएगा. ज्ञान और समर्पण जरूरी हैं.


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भरोसे और समर्पण की बात
संघ प्रमुख ने रोजमर्रा की जिंदगी में भरोसे और समर्पण के महत्व पर भी बात की. भागवत ने कहा कि अगर आप किसी होटल में पानी पीते हैं और चले जाते हैं, तो आपको अपमानित होना पड़ सकता है या नीचा दिखाने वाली निगाहों से देखा जा सकता है. लेकिन अगर आप किसी के घर में पानी मांगते हैं तो आपको किसी खाद्य वस्तु के साथ एक जग भर कर पानी दिया जाता है. क्या अंतर है? घर में भरोसा और समर्पण होता है. ऐसे काम का फल मिलता है.


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आरएसएस प्रमुख ने व्यक्ति और राष्ट्र के विकास के लिए समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के महत्व पर भी बल दिया और राष्ट्रीय ध्वज पर 'धम्मचक्र' (धर्म का पहिया) के प्रतीकात्मक महत्व पर प्रकाश डाला.


उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को वैयक्तिकता के प्रति सम्मान और दमन से मुक्ति के साथ आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए. भागवत ने कहा, "हम चाहते हैं कि व्यक्ति आगे बढ़े और इसके लिए हमें स्वतंत्रता व समानता की आवश्यकता है. किसी को दबाया नहीं जाना चाहिए. सभी को अवसर मिलना चाहिए और भाईचारे के साथ लोग आगे बढ़ेंगे और समाज में अपनी सफलता का प्रसार करेंगे."


उन्होंने कहा कि पिछले 78 वर्षों में समाज ने बड़ी प्रगति की है, व्यक्तियों ने स्वयं में सुधार किया है तथा ऐसी व्यवस्था में योगदान दिया है जो सभी को प्रगति करने में सक्षम बनाती है.