BJP-RSS Relations: उत्तर प्रदेश में अब सीएम योगी को संघ का साथ मिलने वाला है. कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के समाजवादी पार्टी से पिछड़ने के बाद RSS खुल कर यूपी में कमान संभालने वाली है. यानी एक तरफ सीएम योगी हैं, जो विकास मॉडल और जनहित के काम पर पूरा फोकस कर लगातार आगे बढ़ रहे हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश के हिंदू वोटर्स को फिर से एकजुट करने के लिए संघ ने प्लान तैयार कर लिया है. चलिए आपको समझाते हैं.


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यूपी में लोकसभा चुनाव के नतीजों ने जितना बीजेपी को परेशान किया, उतना ही संघ को भी चिंता में डाला है और इस चिंता को दूर करने के लिए संघ ने उत्तर प्रदेश के हिन्दुओं को एकजुट करने का प्लान तैयार किया है. ताकि लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह हिंदू वोटर्स के जातियों में बंटने का घाटा BJP को हुआ, वो यूपी के 10 सीटों पर जल्द होने वाले उपचुनाव और फिर 2027 के विधानसभा चुनाव में ना हो. सबसे पहले जानिए कि यूपी के लिए संघ ने क्या तैयारी की है.


संघ पदाधिकारियों की बैठक जारी


अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए संघ ने प्लान पर काम भी शुरू कर दिया है. लखनऊ में पूर्वी क्षेत्र के संघ पदाधिकारियों की चार दिन की बैठक जारी है. आज इस समीक्षा बैठक का दूसरा दिन है.


लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उम्मीद थी कि वो बंपर सीटों पर जीत हासिल करेगी. लेकिन PDA समीकरण के ज़रिए अखिलेश यादव की सोशल इंजीनियरिंग हिट साबित हुई और बीजेपी को सिर्फ 33 सीटों पर ही संतुष्ट होना पड़ा. मगर संघ अपनी नई प्लानिंग के बूते 10 सीटों पर होने वाले उप-चुनाव और फिर 2027 में यूपी के विधानसभा चुनाव का टारगेट सेट करने में जुटी है. हालांकि विपक्ष को नहीं लगता कि बीजेपी और संघ की जुगलबंदी से कुछ फायदा हो पाएगा. 


नड्डा से बयान से आई थी रिश्तों में खटास


दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के एक बयान से बीजेपी और संघ के बीच दूरी आने की बात कही जाने लगी थी. एक अखबार को दिए इंटरव्यू में नड्डा ने कहा था कि पार्टी उस समय से विकसित हुई है जब उसे आरएसएस की जरूरत थी और अब वो सक्षम है और अपना काम खुद चलाती है. आरएसएस एक वैचारिक मोर्चा है और अपना काम करता है. 


मगर चुनाव नतीजों के बाद संघ प्रमुख ने बीजेपी से दूरी की बातों को बेतुका करार दिया था. और अब संघ प्रमुख मोहन भागवत खुद 1 जुलाई को गाजीपुर का दौरा करने वाले हैं. मुमकिन है कि इस दौरे पर उनकी मुलाकात सीएम योगी से भी हो. और फिर दोनों मिलकर यूपी में बीजेपी की वापसी के रोडमैप पर एक साथ मिलकर काम करना शुरू करें.