नई दिल्ली: NCP के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने कहा है कि गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं लेकिन इसके कोई प्रमाण नहीं हैं. जिस चिट्ठी की बात हो रही है, उस पर किसी के हस्ताक्षर भी नहीं है. यह भी स्पष्ट नहीं है कि फिरौती से वसूली हुए रकम गृह मंत्री या उनके किस स्टाफ को दी गई. उन्होंने कहा कि सचिन वाझे को नौकरी पर दोबारा बहाल करने का फैसला मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह का था. इसमें मुख्यमंत्री का कोई रोल नहीं था.


'जूलियो रिबेरो करें मामले की जांच'


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दिल्ली में प्रेस वार्ता करते हुए शरद पवार ने कहा कि गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करने का निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार महाराष्ट्र मुख्यमंत्री के पास है. उन्होंने कहा,'मैंने इस मामले पर सीएम उद्धव ठाकरे के साथ विचार-विमर्श किया. मैंने महसूस किया है कि इस मामले की किसी निष्पक्ष व्यक्ति के जरिए गहराई से जांच करवाई जानी चाहिए. मैंने इसके लिए मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त जूलियो रिबेरो का नाम सजेस्ट किया है.'


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'कुर्सी से हटने के बाद क्यों लगाए आरोप'


शरद पवार ने कहा कि गृह मंत्री अनिल देशमुख के इस्तीफा पर फैसला मुख्यमंत्री लेंगे. इस घटना का सरकार पर कोई असर नहीं होगा. पवार ने सवाल किया कि जब परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस के कमिश्नर पद से हटाया गया, तभी उन्होंने ये सब आरोप क्यों लगाए. उन्होंने कहा कि 16 साल बाद सचिन वाझे को वापस मुंबई पुलिस में लाने का फैसला परमबीर का था. शरद पवार ने कहा,'मैंने सुना है कि परमबीर दिल्ली हो कर गए थे.'


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