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कांग्रेस को आई बात समझ


इस डैमेज को शायद कांग्रेस समझ गई है और इसीलिए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने एक लिखित बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि हम चाहे हिंदुत्व के राजनीतिक विचार से सहमत ना हों. लेकिन इसकी तुलना ISIS और बोको हरम से करना ना सिर्फ तथ्यों के आधार पर ही गलत नहीं है बल्कि ये अतिश्योक्ति है. यानी बढ़ा चढ़ा कर लिखी गई बात है, जिसमें कोई दम नहीं है.


क्या है ISIS और बोको हरम


बता दें, ISIS एक ऐसा आतंकवादी संगठन है, जो अब तक दुनियाभर में 8 हजार से ज्यादा लोगों की हत्या कर चुका है. साल 2014 से 2018 के बीच इस कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन ने दुनिया के 29 देशों में करीब 150 आतंकवादी हमले किए, जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे. बोको हरम ने भी पिछले 6 साल में एक हजार से ज्यादा आतंकवादी हमले किए, जिसमें 10 हजार लोगों की जान चली गई. 


पहले भी दे चुके हैं बयान


सलमान खुर्शीद कांग्रेस पहले भी कई मौकों पर ये बात कह चुके हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता. साल 2013 में भी उन्होंने इसी तरह का एक बयान दिया था. और फिर वर्ष 2018 में भी उन्होंने ये कहा था कि इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ना सही नहीं होगा. 


काफी पुरानी है बहस


भारत में ये बहस बहुत पुरानी है कि हिंदुत्व को हिन्दू धर्म से जोड़ कर देखा जाए या इसे एक विचार तक सीमित माना जाए. माना जाता है कि हिंदुत्व शब्द का पहली बार इस्तेमाल साल 1892 में बंगाल के मशहूर साहित्यकार चंद्रनाथ बसु ने अपनी एक पुस्तक में किया था. इसे हिन्दू धर्म के सांस्कृतिक महत्व से जोड़ कर बताया था. उनके बाद साल 1923 में स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर ने इस शब्द को लोकप्रिय बनाया और हिंदुत्व नाम से एक पुस्तक भी लिखी. साल 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने भी हिन्दू धर्म और हिंदुत्व के ऊपर टिप्पणी करते हुए कहा था कि हिन्दू धर्म और हिंदुत्व जीवन व्यतीत करने का एक मार्ग है और इसकी तुलना कट्टरता से करना एक मिथ्या या दोष होगा. अदालत ने ये भी कहा था कि इसके विपरीत, हिंदुत्व शब्द का प्रयोग मत निरपेक्षता को प्रोत्साहन देने के लिए किया जाना चाहिए. 


पहले भी होता रहा है ऐसा दुष्प्रचार


देश में मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए हिन्दू धर्म और हिंदुत्व के खिलाफ ऐसा दुष्प्रचार होता रहा है. साल 2013 में कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा था कि भारत में हिंदू आतंकवाद है. तब कांग्रेस के कई नेताओं ने इसका समर्थन भी किया था. सलमान खुर्शीद ने तो 2008 के बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद ये कहा था कि इस एनकाउंटर में मारे गए आतंकवादियों के लिए सोनियां गांधी की आंखों में आंसू आ गए थे. वहीं, आज खुर्शीद हिंदुत्व की तुलना आतंकवादी संगठनों से जोड़ कर एक और नया विवाद खड़ा कर दिया है.


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