नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि सरकार की तमाम कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये आधार अनिवार्य करने के केन्द्र के कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नवंबर के अंतिम सप्ताह में संविधान पीठ सुनवाई शुरू करेगी. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि केन्द्र इस मामले में बहस के लिये तैयार है और अब इस मामले में उनका पक्ष सुने बगैर किसी अन्य अंतरिम आदेश की आवश्यकता नहीं है. इसके बाद ही न्यायालय ने कहा कि संविधान पीठ नवंबर के अंतिम सप्ताह में इस पर सुनवाई शुरू करेगी.


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केन्द्र की पहल का विरोध करते हुये याचिकायें दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम ने कहा कि शीर्ष अदालत ने पहले आधार मामले में कईआदेश पारित किये थे और कहा था कि यह ‘विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक कृत्य’’ है और कोई भी नागरिक सरकार की योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये यह कार्ड रखने को बाध्य नहीं होगा.


महाराष्ट्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी ए सुन्दरम ने कहा कि यथाशीघ्र इस मामले की सुनवाई करके इस पर फैसला किया जाना चाहिए. न्यायालय ने इन सभी की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि वह इस मामले की सुनवाई कर इस पर फैसला करने के लिये संविधान पीठ गठित करेगी. हाल ही में, नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि निजता का अधिकार संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार है. आधार की वैधानिकता को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाओं में दावा किया था कि इससे निजता के अधिकार का हनन होता है.


इस बीच, न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की दो सदस्यीय खंडपीठ ने आधार कार्डको मोबाइल फोन से जोडने के प्रस्ताव को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की याचिका पर आज केन्द्र को नोटिस जारी किया. पीठ ने इस याचिका पर केन्द्र से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.


इस बीच, केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने 25 अक्तूबर को शीर्षअदालत को सूचित किया था कि सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये आधार जोडने की अनिवार्यता की अवधि 31 दिसंबर से बढाकर अगले साल 31 मार्च तक करने का फैसला सरकार ने उन लोगों के लिये लिया है जिनके पास अभी तक 12 अंको वाली पहचान संख्या नहीं है और वे इसके लिये पंजीकरण कराना चाहते हैं.