नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक बार‍ फिर केंद्र सरकार की ओर से लाए गए आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण के फैसले पर तत्काल रोक लगाने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के इस फैसले पर स्टे लगाने के लिए तत्काल आदेश देने की मांग को फिर से खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट इस तरह की सभी पुरानी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगा.


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बता दें कि 25 जनवरी को भी सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण की व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने 10% आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. सवर्णों को नौकरियों में आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने के मामले में यूथ फॉर इक्विलिटी सहित अन्य याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके ये जवाब मांगा है.


इस याचिका में संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि ये संशोधन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और आर्थिक आधार पर आरक्षण नही दिया जा सकता.



गैर सरकारी संगठन यूथ फॉर इक्वेलिटी और कौशल कांत मिश्रा ने याचिका में इस विधेयक को निरस्त करने का अनुरोध करते हुए कहा था कि एकमात्र आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता. याचिका में कहा गया है कि इस विधेयक से संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन होता है क्योंकि सिर्फ सामान्य वर्ग तक ही आर्थिक आधार पर आरक्षण सीमित नहीं किया जा सकता है और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा लांघी नहीं जा सकती.


बता दें कि मोदी सरकार के मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखे जा रहे सवर्ण आरक्षण बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए. इसके साथ ही सरकारी नौकरियों और शैक्षाणिक संस्थानों में दस फीसदी आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है. सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. कुछ राज्‍यों ने इसे लागू भी कर दिया है.