नई दिल्ली: पाकिस्तान से सीमा पार करके आतंकवादी कश्मीर में छिप जाते हैं. ये बात अब आपको विचलित नहीं करती. ऐसी खबरों की आपको आदत पड़ चुकी है. लेकिन अगर AK-47 राइफल लिए हुए कोई आतंकवादी आपके पड़ोस में, आपके मोहल्ले में या आपकी हाउसिंग सोसाइटी में रह रहा हो, ये जानकर आप चौक भी जाएंगे और डर भी जाएंगे. क्योंकि यहां पर जान किसी सैनिक की नहीं बल्कि आपकी जाएगी, या आपके परिवार की जाएगी. मंगलवार को दिल्ली (Delhi) में एक बहुत भीड़ भाड़ वाली कॉलोनी में एक ऐसा ही पाकिस्तानी आतंकवादी (Pakistani Terrorist) पकड़ा गया, जो पिछले 16 साल से भारत के अलग-अलग शहरों में आम लोगों के बीच रह रहा था.


2004 में पाकिस्तान से आया था भारत


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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जिस आतंकवादी को गिरफ्तार किया है, उसका नाम मोहम्मद अशरफ उर्फ अली अहमद नूरी है. ये आतंकवादी वर्ष 2004 और 2005 के बीच पाकिस्तान से भारत आया था. यानी पिछले लगभग 16-17 साल से भारत में था और कई आतंकवादी गतिविधियों में भी शामिल रहा. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, इसकी ट्रेनिंग पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के साथ हुई थी और फिर इसे बांग्लादेश के रास्ते पहले पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में दाखिल कराया गया और वहां से ये राजस्थान के अजमेर पहुंचा.


पहले अजमेर की मस्जिद में ली पनाह


हैरानी की बात ये है कि भारत में इसके रहने का पहला ठिकाना अजमेर (Ajmer) की एक मस्जिद थी, जहां इसने एक मौलवी के साथ दोस्ती की और लगभग एक डेढ़ साल तक उसके साथ रहकर मौलाना बनने की ट्रेनिंग ली. यानी पहले पाकिस्तान में इसकी जेहादी बनने की ट्रेनिंग हुई और फिर भारत में रहने के लिए इसने खुद को एक पीर मौलाना के तौर पर स्थापित किया. जिस मौलवी से इसने विद्या ली थी, उसी के साथ ये वर्ष 2006 में दिल्ली आया और यहां मौलाना बनकर लोगों का इलाज करने लगा.


दिल्ली में आकर बना मुस्लिम धर्मगुरु


कहा जा रहा है कि एक मुस्लिम धर्मगुरु के तौर पर इसने दिल्ली के मुस्लिम इलाकों में अच्छी जान पहचान बना ली और फिर जो लोग इसके पास इलाज कराने के लिए आते थे. उन्हीं के बैंक अकाउंट में ये पाकिस्तान से पैसा मंगाने लगा. सोचिए, किस तरह ये पूरा टेरर मॉड्यूल खड़ा किया गया. पुलिस ने बताया है कि पाकिस्तान में बैठे इसके हैंडलर ने जिसका नाम नासिर है, उसने इसे इस बार त्योहारों पर आतंकवादी हमला कराने का टास्क दिया था और इसके लिए इसे खतरनाक हथियार भी दिए गए थे. 


शाहीन बाग के पास दबे मिले हथियार


बड़ी बात ये है कि ये सारे हथियार दिल्ली के कालिंदी कुंज में यमुना घाट के पास मिट्टी में दबे मिले हैं, जो शाहीन बाग से सिर्फ 1 किलोमीटर की दूरी पर है. अगर कोई पैदल भी शाहीन बाग से यहां पर जाए तो उसे ज्यादा से ज्यादा 7 से 8 मिनट लगेंगे. इन हथियारों में एक AK-47 असॉल्ट राइफल है, एक हैंड ग्रेनेड है, 60 गोलियों की दो मैगजीन्स हैं और मेड इन चाइना दो पिस्तौल हैं. इस बात की भी आशंका है कि शाहीन बाग से ही कुछ लोग इस आतंकवादी की मदद कर रहे थे. हमें ये भी पता चला है कि ये आतंकवादी शाहीन बाग और जामिया नगर की कुछ मस्जिदों में भी काफी समय तक रहा. यानी इसके छिपने का ठिकाने अलग अलग शहरों की मस्जिदें थीं.


लक्ष्मी नगर इलाके से हुई गिरफ्तारी


अभी दिल्ली में इसके दो ठिकानों के बारे में पता चला है. एक दिल्ली के शास्त्री पार्क में है, जहां एक मकान इसने पुरानी दिल्ली में भी किराए पर लिया हुआ था. शास्त्री पार्क वाले किराए के मकान में ये कुछ ही महीनों तक रहा, जबकि पुरानी दिल्ली वाले मकान में ये आता जाता रहता था और वहां कुछ लोग इसकी मदद भी कर रहे थे जो बात सोचने वाली है वो ये कि ये दोनों ही इलाके मुस्लिम बहुल हैं. हालांकि इसकी गिरफ्तारी शास्त्री पार्क से कुछ दूर दिल्ली के लक्ष्मी नगर से हुई है.


गाजियाबाद की महिला से की थी शादी


पूछताछ में इस आतंकवादी ने बताया है कि ये पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का रहने वाला है, जहां से 26/11 हमले का आतंकवादी अजमल कसाब भी मुंबई आया था. यानी आतंकवाद की ये सारी जड़ें एक दूसरे से मिली हुई हैं. मोहम्मद अशरफ नाम के इस पाकिस्तानी आतंकवादी के पास से स्पेशल सेल को कई पहचान पत्र और एक पासपोर्ट भी मिला है. पुलिस ने बताया है कि इसने भारत का नागरिक बनने के लिए दिल्ली के पास गाजियाबाद की एक महिला से भी शादी की और फिर कुछ ही महीनों में उसे छोड़ दिया.


जम्मू-कश्मीर में हमले कराने का शक


ये शादी उसने सिर्फ अपना पहचान पत्र बनाने के मकसद से की थी. इसके अलावा 2014 में इसने जो पासपोर्ट बनवाया, उसमें परमानेंट एड्रेस में बिहार का पता लिखा है, जिससे ऐसी आशंका भी है कि जिस महिला से इसने शादी की थी, वो बिहार की हो सकती है. इस पासपोर्ट पर ये आतंकवादी एक बार सऊदी अरब गया और एक बार इसने थाइलैंड की यात्रा की. इन दोनों विदेशी यात्राओं के पीछे क्या मकसद था, पुलिस इसके बारे में भी पता लगा रही है. इसके अलावा एक और चौंकाने वाली बात ये पता चली है कि ये आतंकवादी काफी समय तक जम्मू-कश्मीर में भी रहा, जहां इसने हथियारों से लेकर आतंकवादियों को फंडिंग करने तक का काम किया. पुलिस को इस बात का भी शक है कि इसने वहां आतकंवादी हमले भी कराए.


आतंकियों की डेस्टिनेशन अजमेर क्यों?


इस खबर के बाद ये भी सवाल उठ रहा है कि पाकिस्तान से आने वाले आतंकवादियों का पहला डेस्टिनेशन राजस्थान का अजमेर ही क्यों होता है? मोहम्मद अशरफ से पहले, दिल्ली पुलिस 7 साल पहले 2014 में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी जिया उर रहमान उर्फ वकास को भी राजस्थान के अजमेर से गिरफ्तार कर चुकी है. वकास भी पाकिस्तान से भारत में आया था. इसके अलावा 26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड डेविड हेडली भी राजस्थान के अजमेर जिले में रुका था. अजमेर में मुस्लिम आबादी भी ज्यादा है और वहां पुष्कर में ही भगवान ब्रह्मा का सबसे बड़ा मन्दिर (Largest temple of Brahma) है, जो हिन्दुओं की आस्था का सबसे बड़ा केन्द्र है. 


इसके अलावा पुष्कर में ही यहूदियों का एक बहुत बड़ा धार्मिक आयोजन होता है, जिसे हनुका कहा जाता है. ऐसा माना जा रहा है कि आतंकवादियों के निशाने पर यही धार्मिक स्थल हो सकते हैं. इसलिए जांच एजेंसियों के सामने अब ये सवाल भी है कि आतंकवादी आखिर पाकिस्तान से भारत आकर अजमेर को ही क्यों चुनते हैं.


त्योहारों पर सर्तक रहने की जरूरत


भारत में त्योहारों का मौसम शुरू हो चुका है. कुछ दिनों के बाद दशहरा है, फिर दिवाली आने वाली है, और इसके कुछ दिनों बाद क्रिसमस का त्योहार आएगा. इसलिए आपको सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि आतंकवादियों के लिए सबसे आसान निशाना त्योहार होते हैं. क्योंकि इस दौरान बहुत भीड़ भाड़ होती है और इससे आतंकवादियों का काम आसान हो जाता है.


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