Sharda Sinha Death: आखिरकार वही हुआ जिसका अंदाजा था, छठ पूजा से पहले ही दिल्ली के एम्स अस्पताल में भोजपुरी की मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है. छठ गीतों के जरिए हर साल अपने फैंस का दिल जीतने वाली शारदा सिन्हा इस बार नहाय-खाय के दिन हमेशा के लिए शांत हो गईं. उनके निधन की खबर से उनके चाहनेवालों में गहरा शोक है. शारदा सिन्हा का नाम बिहार और उत्तर प्रदेश के घर-घर में श्रद्धा के साथ लिया जाता है, खासकर छठ पर्व के अवसर पर. 


‘दुखवा मिटाई छठी मैया’


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शारदा सिन्हा की मधुर और सजीव आवाज ने हर साल छठ गीतों में नई जान डाल दी थी. लेकिन इस बार, जब उनका एक गीत ‘दुखवा मिटाई छठी मैया’ हाल ही में रिलीज हुआ था, तो किसी को अंदाजा भी नहीं था कि यह उनकी आखिरी पेशकश साबित होगी.


दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा था, जहां से ही उन्होंने इस गीत को रिकॉर्ड कर अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया था. यह गीत उनके स्वास्थ्य और बहादुरी को दर्शाता है और छठ मइया के प्रति उनकी गहरी आस्था को उजागर करता है. उनके इस गीत में उनके संघर्ष और उनकी जीवन-यात्रा का सार झलकता है, जो उनके प्रशंसकों के लिए एक भावनात्मक संदेश बन गया है.


पति का ब्रेन हेमरेज के कारण निधन


शारदा सिन्हा की तबीयत पिछले कुछ महीनों से खराब चल रही थी. हाल ही में उनके पति ब्रज किशोर सिन्हा का ब्रेन हेमरेज के कारण निधन हो गया था, जिससे उनका स्वास्थ्य भी बिगड़ता गया. फिलहाल वे अब सदा के लिए लिए शांत हो गईं. शारदा सिन्हा की आवाज ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है, और वे अपने गीतों के माध्यम से हमेशा प्रशंसकों के दिलों में जीवित रहेंगी.


लोक संगीत में अद्वितीय योगदान 


पद्मभूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा ने छठ के गीतों को अपनी आवाज देकर लोक संगीत में अद्वितीय योगदान दिया है. उन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों में भी गाने गाए हैं, जिनमें 'मैंने प्यार किया' का ‘कहे तो से सजना’, ‘हम आपके हैं कौन’ का ‘बाबुल’ और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर 2’ का ‘तार बिजली से पतले’ गाना शामिल हैं. शारदा जी को 1992 में पद्मश्री, 2018 में पद्म विभूषण, और 2006 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है.


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