नई दिल्ली: टैक्सी या ऑटो चलाना केवल पुरुषों का काम नहीं रह गया है. शिमला की एक महिला ने अपने दम पर ये साबित किया है कि महिलाएं कोई भी काम कर सकती हैं. हम बात कर रहे हैं शिमला की पहली महिला टैक्सी चालक मीनाक्षी की. कोरोना काल में बेटियों की पढ़ाई पर ब्रेक न लगे इसके लिए मीनाक्षी ने टैक्सी का स्टेयरिंग थाम लिया. 


शिमला की पहली महिला टैक्सी चालक हैं


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जानकारी के अनुसार, लोअर पंथाघाटी के दोची में रहने वाली मीनाक्षी नेगी शिमला की पहली ग्रेजुएट टैक्सी चालक हैं. अब शिमला लोकल ही नहीं सवारियों को लेकर चंडीगढ़ और दिल्ली के भी चक्कर लगा आती हैं. मीनाक्षी का कहना है कि हिमाचल में महिलाएं सुरक्षित हैं इसलिए रात में भी टैक्सी चलाने में डर नहीं लगता.


शुरुआत में बच्चों को स्कूल तक छोड़ती थीं


मीनाक्षी बताती हैं कि कोरोना काल में घर चलाने में तक दिक्कत आ रही थी. इसलिए उन्होंने टैक्सी चलाकर स्कूली बच्चों को स्कूल छोड़ने का काम शुरू किया. लेकिन कोरोना में स्कूल बंद हो गए. इसके बाद उनकी मुसीबत और ज्यादा बढ़ गई. गाड़ी की किस्त के साथ बच्चों का खर्च भी परेशान करने लगा. इसके बाद मीनाक्षी ने अपना काम टैक्सी चालक के रूप में चलाने का फैसला लिया. शुरू में थोड़ी हिचकिचाहट हुई, लेकिन अब सामान्य रूप से लोगों को सेवाएं दे रही हैं.


देर रात तक चलाती हैं टैक्सी


मीनाक्षी कहती हैं कि वो रोजाना सुबह नौ बजे टैक्सी लेकर घर से निकलती हैं और रात आठ बजे के बाद घर लौटती हैं. बुकिंग हो तो सुबह 5 से रात 12 बजे तक भी गाड़ी चला लेती हैं. मीनाक्षी की दो बेटियां हैं. बड़ी 12वीं और छोटी 8वीं में पढ़ती है. मीनाक्षी का कहना है कि परिजनों के आशीर्वाद और टैक्सी ऑपरेटरों की वजह से ही इस पेशे में आगे बढ़ पा रही हैं.


चंडीगढ़, दिल्ली तक टैक्सी की देती हैं सर्विस


मीनाक्षी ने बताया कि वो गाड़ी तो 2004 से चलाती है, लेकिन कमर्शियल तौर पर पिछले चार साल से ये काम शुरू किया है. उन्होंने बताया कि जब काम शुरू किया तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन अब सहयोगी ड्राइवर भी उनकी मदद करते हैं.  इसके दम पर शिमला ही नहीं बल्कि चंडीगढ़, दिल्ली तक टैक्सी की सेवाएं दे रही हैं. मीनाक्षी केवल दिन में नहीं बल्कि रात में भी टैक्सी चलाती हैं. 



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