Bow and Arrow Symbol: चुनाव आयोग से उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका लगा है. चुनाव आयोग ने शुक्रवार को एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का धनुष-बाण चिह्न दे दिया है. इसके अलावा शिवसेना का नाम भी शिंदे गुट के हिस्से में आया है. पिछले साल ठाकरे के खिलाफ बगावत करने के बाद एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे. तब से दोनों गुट  पार्टी के निशान धनुष-बाण को लेकर झगड़ रहे थे. चुनाव आयोग ने पाया कि शिवसेना पार्टी का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है. इसमें बिना किसी चुनाव के मंडली के सदस्यों को पदाधिकारी नियुक्त कर दिया जाता है. ऐसी पार्टी के ढांचे से विश्वास टूट जाता है.


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आयोग ने यह भी माना कि शिवसेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को छिपाकर वापस जोड़ा गया. इस कारण पार्टी प्राइवेट संपत्ति की तरह हो गई. ऐसे तरीकों को साल 1999 में ही चुनाव आयोग ने नामंजूर कर दिया था. चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद ठाकरे गुट की महाराष्ट्र में शिवसेना से दावेदारी खत्म मानी जा रही है. दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट और शिवसेना विवाद पर फैसला 21 फरवरी तक के लिए टाल दिया है. पिछले महीने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे की अगुआई वाले गुटों ने पार्टी के नाम और चिह्न को लेकर अपने लिखित बयान चुनाव आयोग को सौंपे थे. 


पिछले साल चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिह्न धनुष-बाण को फ्रीज कर दिया था और अंधेरी ईस्ट विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे के गुट को दो तलवार और ढाल का निशान और उद्धव ठाकरे गुट को जलती हुई मशाल का चिह्न दिया था. पिछले साल नवंबर में उद्धव ठाकरे ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनाव आयोग द्वारा धनुष-बाण का निशान फ्रीज करने को लेकर याचिका दायर की थी. लेकिन कोर्ट ने इसको ठुकरा दिया था. अंधेरी ईस्ट उपचुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने एक अंतरिम आदेश पास करते हुए कहा था कि दोनों गुटों में से किसी को भी धनुष-बाण का निशान इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है.  


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