शिवसेना ने कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार से पूछे सवाल: आखिर कब सुधरेंगे हालात?
महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिवसेना (Shiv sena) ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से केंद्र सरकार पर कश्मीर के हालात (Kashmir Situation) को लेकर निशाना साधते हुए लिखा है कि कश्मीर के लाल चौक (Lal Chowk) पर तिरंगा फहराने के लिए गए भाजपा के कार्यकर्ताओं को कश्मीर की पुलिस ने रोका और उन्हें बंद
मुंबई: महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिवसेना (Shiv sena) ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से केंद्र सरकार पर कश्मीर के हालात (Kashmir Situation) को लेकर निशाना साधते हुए लिखा है कि कश्मीर के लाल चौक (Lal Chowk) पर तिरंगा फहराने के लिए गए भाजपा के कार्यकर्ताओं को कश्मीर की पुलिस ने रोका और उन्हें बंदी बना लिया. इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि क्या अब भी कश्मीर में स्थिति सुधरी नहीं है, जो ठीक-ठाक दिख रहा है, वह सिर्फ ऊपरा-ऊपरी मेकअप ही है क्या? शिवसेना ने यह सवाल भी उठाया है कि कश्मीर में तिरंगा फहराने वाले को अरेस्ट किया जाता है साथ ही अभिनेत्री कंगना नाम लिये बगैर उनकी तरफ इशारा करते हुए लिखा है कि मुम्बई (Mumbai) को पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) बोलने वाली कंगना को सुरक्षा दी जाती है.
सामना में क्या लिखा?
कश्मीर में क्या चल रहा है, इस संदर्भ में शंका-कुशंकाओं को बल मिलने वाली घटनाएं और घटनाक्रम रोज होते दिख रहे हैं. देशवासियों के मन में कश्मीर को लेकर तीव्र भावना है. कांग्रेस के काल में कश्मीर हाथ से निकल ही चुका था, उसे भाजपा ही वापस लाई है, जो ऐसा कहा जाता है यह सच होगा तो श्रीनगर (Shrinagar) के लाल चौक पर तिरंगा लहराने का विरोध क्यों किया गया? इसका उत्तर देश को मिलना ही चाहिए.
कश्मीर हिंदुस्थान (Hindusthan) का ही अविभाज्य अंग है, इसे साबित करने के लिए ही मोदी सरकार ने अनुच्छेद-370 हटाकर कश्मीर के पैरों से गुलामी की बेड़ियां तोड़कर फेंक दीं. इसके लिए सभी ने उन पर शुभकामनाओं की वर्षा की.
अनुच्छेद-370 हटाकर भारत माता को खुली सांस लेने के लिए मुक्त किया. यह सब मोदी और शाह के दिल्ली में राज होने के कारण हुआ. लेकिन अनुच्छेद-370 (Article-370) हटाने पर भी भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा लगभग चार दिन पहले श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा नहीं फहराया जा सका.
लाल चौक पर तिरंगा फहराने के लिए गए भाजपा के कार्यकर्ताओं को कश्मीर की पुलिस ने रोका और उन्हें बंदी बना लिया. यह तस्वीर क्या कह रही है?
कश्मीर की स्थिति अब भी सुधरी नहीं है. जो ठीक-ठाक दिख रहा है, वह सिर्फ ऊपरी मेकअप ही है. अब कश्मीर की तीन प्रमुख पार्टियां एक हो गई हैं और उन्होंने अनुच्छेद-370 फिर से लाने के लिए लड़ाई करने की ठानी है*
डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला (Farukh Abdullah) नामक मेंढक ने तो ‘टर्र-टर्र’ करते हुए घोषित किया कि अनुच्छेद-370 फिर से लाने के लिए हम चीन की मदद लेंगे. यह सीधे-सीधे राष्ट्रद्रोह ही है. दूसरी है मेंढकी महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti). उसने तो कश्मीर में तिरंगा कैसे लहराता है, यह देखेंगे? ऐसी चुनौती दी है.
इन दोनों नेताओं की भाषा अलगाव और बिखराव की है. तिरंगे का अपमान हिंदुस्थान कभी सहन नहीं करेगा. यह देश की भावना है. 5 अगस्त को संविधान की धारा अनुच्छेद-370 को हटाकर फेंक दिया गया.=तब तक जम्मू-कश्मीर में अलग निशान और अलग संविधान था तथा यह बात भारत माता के कलेजे में छुरे घोंपने जैसी वेदना दे रही थी. इन दोनों प्रावधानों के कारण जम्मू-कश्मीर हिंदुस्थान के नक्शे में होने के बावजूद हिंदुस्थान के आजाद राष्ट्र के रूप में दहाड़ रहा था. मोदी-शाह ने स्वतंत्र राष्ट्र बर्खास्त कर दिया, यह सही है. लेकिन आज भी कश्मीर में तिरंगा फहराने के लिए संघर्ष करना पड़े तो वैसे चलेगा?
अनुच्छेद-370 हटाने के बाद भी स्थिति ‘जैसे थे’ वाली ही है और लोगों पर कई प्रकार की बंदिशें हैं.सेना का बंदोबस्त बढ़ा दिया गया है. आतंकवादी हमलों का डर बढ़ गया है.
अनुच्छेद-370 हटाते ही कश्मीरी पंडितों की घर वापसी होगी और पंडितों को उनकी जमीन-जायदाद वापस मिलेगी, ऐसा माहौल भाजपा ने तैयार किया. प्रत्यक्ष रूप में कितने पंडितों की घर वापसी हुई, इसको लेकर गड़बड़ ही है. भारतीय जनता पार्टी का काम करनेवालों की हत्या इसी काल में हुई, यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
अनुच्छेद-370 के समय बाहर के लोग वहां जाकर एक भी इंच जमीन नहीं खरीद सकते थे. बाहर के लोग वहां जाकर उद्योग-व्यापार नहीं कर सकते थे. इसलिए अनुच्छेद-370 हटाकर वहां व्यापार उद्योग बढ़ेगा, ऐसी तस्वीर पेश की गई.
कुछ बड़े उद्योगपतियों ने देशभक्ति से प्रेरित होकर कश्मीर में बड़े निवेश की घोषणा भी की. लेकिन साल बीत चुका, फिर भी एक रुपए का भी निवेश नहीं हो पाया है. बेरोजगारी से त्रस्त युवा फिर से पुराने अर्थात आतंक के रास्ते की ओर निकल पड़े हैं और ‘370’ के प्रेमी नेता इन युवकों को भड़का रहे हैं.
कश्मीर से लेह-लद्दाख को अलग कर दिया. उस लद्दाख काउंसिल का चुनाव भाजपा ने जीता और उसका विजयोत्सव भी मनाया. लेकिन मुख्य कश्मीर में तिरंगा न फहरा पाना, एक प्रकार की हार है. तिरंगा फहराने गए युवकों को पुलिस ने पकड़ लिया. यह पुलिस पाकिस्तान की नहीं थी. इसी मिट्टी की थी.
कश्मीर में फिलहाल राष्ट्रपति शासन है अर्थात वहां दिल्ली का हुक्म चलता है. लेकिन लाल चौक पर तिरंगा फहराना अपराध साबित हो गया. फिर अनुच्छेद-370 हटाने के बाद बदला क्या? मुंबई को पाक अधिकृत कश्मीर कहनेवाली डुप्लीकेट मर्दानी रानी को दिल्ली की सरकार केंद्रीय सुरक्षा का कवच देती है, उस कवच कुंडल में वह महारानी मुंबा माता का अपमान करती है. लेकिन कश्मीर में भारत माता के सम्मान में तिरंगा फहराने वाले युवकों को खींचकर ले जाया जाता है. उन लड़कों को कोई सुरक्षा नहीं और तिरंगे को भी कोई सुरक्षा नहीं, यह विचित्र है.
हिंदुत्व का संबंध राष्ट्रीयत्व से है. एकाध भूमि पर तिरंगा फहराने की मनाही है. इसका सीधा अर्थ ऐसा है कि हम उस भूमि के स्वामी नहीं हैं! उस भूमि पर किसी दूसरे का हुक्म चल रहा है. वे हुक्मबाज या तो आतंकवादी हैं या बाहरी हैं.
मुंबई में आज भी तिरंगा लहरा रहा है अर्थात यह भाग पाकियों का नहीं. जहां पाकियों की मर्जी चलती है, वहां तिरंगे का अपमान होता है. वह अभिनेत्री लाल चौक पर न फहराए जा सके तिरंगे के लिए संताप की चिंगारी उड़ाए. असली मर्दानगी और मर्दानी वहीं पर है.