सबूतों पर ध्यान नहीं दिया गया क्योंकि मैं राजनीतिक रूप से कमजोर- कांडा के बरी होने पर गीतिका के भाई ने कहा
अंकित ने कहा, “66 साल के मेरे पिता फैसला आने के बाद से स्तब्ध हैं.” उन्होंने कहा कि उनके पास मुकदमा लड़ने के लिए साधन नहीं हैं और सरकार को आदेश के खिलाफ अपील दायर करनी चाहिए. अंकित ने दावा किया कि उनकी जान को खतरा है.
एयर होस्टेस गीतिका शर्मा को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा को दिल्ली की एक अदालत द्वारा बरी किए जाने के बाद 11 साल से “भावनात्मक कष्ट” का सामना कर रहा शर्मा का परिवार टूट गया है. गीतिका शर्मा के भाई अंकित शर्मा ने मंगलवार को यह बात कही.
अंकित ने कहा, “66 साल के मेरे पिता फैसला आने के बाद से स्तब्ध हैं.” उन्होंने कहा कि उनके पास मुकदमा लड़ने के लिए साधन नहीं हैं और सरकार को आदेश के खिलाफ अपील दायर करनी चाहिए. अंकित ने दावा किया कि उनकी जान को खतरा है.
कांडा की ‘एमएलडीआर’ कंपनी में काम करने वाली गीतिका शर्मा पांच अगस्त 2012 को उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के अशोक विहार में अपने घर पर मृत पाई गई थीं. चार अगस्त के उनके सुसाइड नोट में शर्मा ने कहा था कि वह कांडा और अरुणा चड्ढा के “उत्पीड़न” से तंग आकर आत्महत्या कर रही हैं.
प्रभावशाली नेता कांडा को उनके खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद गृह राज्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. गीतिका के आत्महत्या करने के छह महीने बाद उनकी मां ने भी खुदकुशी कर ली थी. अंकित ने फोन पर न्यूज एजेंसी ‘पीटीआई’ से कहा, “हमारे लिए 11 वर्ष भावनात्मक रूप से उथल-पुथल भरे रहे हैं. यह 11 सालों की लंबी लड़ाई का अंजाम है. हम अब अपनी जान को लेकर डरे हुए हैं. यह हमारे लिए जानलेवा स्थिति है.”
विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने मामले में सह-आरोपी अरुणा चड्ढा को भी बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष सभी उचित संदेहों से परे आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा. अंकित ने आरोप लगाया कि कांडा के “प्रभाव” ने उसकी मदद की.
उन्होंने कहा, “ऐसा कैसे है कि 1800 पन्नों के आरोप पत्र में कोई सबूत नहीं था.”
निजी कंपनी में काम करने वाले अंकित ने कहा, “सभी आरोप हटा दिए गए - आईटी एक्ट, जालसाजी, आत्महत्या के लिए उकसाना. ऐसे संदेश भी थे जिनसे पता चलता है कि कांडा ने मेरी बहन को परेशान किया था. अगर सबूतों का अभाव था तो अदालत ने जांच के आदेश क्यों दिये?”
उन्होंने कहा, “सबूतों की कमी नहीं थी बल्कि उनपर गौर नहीं किया गया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उसके पास राजनीतिक ताकत और समर्थन है. ये बेहद चौंकाने वाला है.” अंकित ने कहा कि आरोप पत्र में उत्पीड़न के सबूत थे. उन्होंने आरोप लगाया कि अदालत ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि कुछ गवाहों को विदेश भेज दिया गया था.
उन्होंने दावा किया, “सीसीटीवी फुटेज, लैपटॉप जैसे सबूत थे जिन्हें नष्ट कर दिया गया. अदालत ने उनके नष्ट होने पर सवाल क्यों नहीं उठाया? क्या किसी जांच के आदेश दिए गए थे? ऐसे सबूत थे जिन पर विचार नहीं किया गया. अंकित ने कहा, “हमारा परिवार मध्यम वर्गीय है और हम एक वकील का खर्च नहीं उठा सकते. मैं सरकार से फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अनुरोध करता हूं.”
उन्होंने कहा, “दिल्ली में ऐसा कोई वकील नहीं है जो कांडा के प्रभाव में न हो. अगर सरकार लड़ाई लड़े तो बेहतर होगा.” अंकित ने कहा, “आप देखिएगा कि वह जल्द ही चुनाव लड़ेगा और नेता बनकर लौटेगा. हमारे देश में यही स्थिति है.”
(भाषा इनपुट)