Shraddha Murder Case: अपनी ‘लिव-इन पार्टनर’ की हत्या करने और उसके शव के टुकड़े-टुकड़े कर फेंकने के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का इलाज करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि वह (आरोपी) मई में एक घाव का इलाज कराने उनके पास आया था. उसी महीने महिला की हत्या की गयी थी.


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आफताब का इलाज करने वाले डॉक्टर ने क्या बताया


डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि पूनावाला जब इलाज के लिए उनके पास आया था, तो बहुत आक्रामक और बेचैन था तथा उन्होंने उससे जब चोट के बारे में पूछा तो आरोपी ने बताया कि फल काटते वक्त उसे यह चोट लगी. कुमार ने कहा, मई में वह सुबह के समय आया था. मेरे सहायक ने मुझे बताया कि एक व्यक्ति आया है, जिसे जख्म है. जब मैंने उसे देखा तो वह गहरा घाव नहीं था, बल्कि मामूली थ.  जब मैंने उससे पूछा कि चोट कैसे लगी तो उसने बताया कि फल काटते वक्त चोट लगी. मुझे कोई शक नहीं हुआ था, क्योंकि वह चाकू से होने वाला छोटा-सा घाव था.


उन्होंने कहा कि जब वह इलाज के दौरान पहली बार 28 वर्षीय पूनावाला से मिले तो वह उन्हें काफी साहसी और आत्मविश्वासी व्यक्ति लगा. कुमार ने कहा, दो दिन पहले पुलिस उसे मेरे अस्पताल लेकर आयी और पूछा कि क्या मैंने इस व्यक्ति का इलाज किया था. मैंने उसे पहचान लिया और हां में जवाब दिया. जब वह इलाज के लिए आया था तो वह बहुत आक्रामक और बेचैन था. वह मेरी आंखों में आंखें डालकर बात कर रहा था. वह बहुत साहसी और आत्मविश्वासी था. वह अंग्रेजी में बोल रहा था और मुझे बताया कि वह मुंबई से है तथा आईटी क्षेत्र में अच्छे अवसरों के कारण दिल्ली आया है.


एपेक्स अस्पताल में पूनावाला का इलाज करने वाले डॉक्टर ने कहा, मेरी पत्नी भी मुंबई के माटुंगा से है और मैंने उसे बताया था कि आज मैं एक मरीज से मिला, जो मुंबई से था और यहां एक अच्छे काम की तलाश में आया है. मुझे संदेह नहीं हुआ था कि उस व्यक्ति ने किसी की हत्या की होगी. उसने सहजता से टांके लगवाये और ऐसा प्रदर्शित नहीं किया कि उसे दर्द हो रहा है. उसने इलाज का भुगतान ऑनलाइन माध्यम से किया.


दिल्ली पुलिस मंगलवार को पूनावाला को छतरपुर के जंगल में ले गयी, जहां उसने कथित रूप से श्रद्धा वालकर के शव के टुकड़े फेंके थे. गौरतलब है कि पूनावाला ने मई में कथित तौर पर वालकर की गला दबाकर हत्या कर दी थी और उसके शव के 35 टुकड़े किए थे, जिसे उसने करीब तीन सप्ताह तक दक्षिणी दिल्ली के महरौली में अपने घर में 300 लीटर के फ्रिज में रखा था और बाद में कई दिनों में शहर के अलग-अलग स्थानों पर उन्हें फेंक दिया था.


(इनपुट-एजेंसी)


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