हरियाणा से कांग्रेस को उम्‍मीद थी लेकिन वहां हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद महाराष्‍ट्र में भी मायूसी मिली. इन झटकों के बीच कर्नाटक से उसके लिए एक और टेंशन वाली खबर आ रही है. कहा जा रहा है कि वहां सीएम सिद्दरमैया और डिप्‍टी सीएम शिवकुमार के बीच बन नहीं पा रही है. दरअसल डिप्‍टी सीएम शिवकुमार ने हाल ही में एक समाचार चैनल से कथित तौर पर कहा था कि सत्ता में आने से पहले उनके बीच समझौता हुआ था, जिस पर सिद्धरमैया ने बुधवार को कहा कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ था और वह आलाकमान के फैसले का पालन करेंगे. 


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उसके बाद आज बेंगलुरु में कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने सरकार गठन से पहले मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के बीच सत्ता-साझा करने संबंधी किसी भी समझौते की बात को नकारा है. जी परमेश्वर ने कहा कि अंततः हाईकमान ही निर्णय लेगा और सभी उसका पालन करेंगे. 


शिवकुमार की सफाई
पिछले साल मई में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली थी. कांग्रेस पार्टी शिवकुमार को मनाने में कामयाब रही थी और उसने उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया था.


तब ऐसी कुछ खबरें सामने आयी थीं कि ‘बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनाने के ‘फॉर्मूले ’ पर सहमति बनी थी जिसके अनुसार शिवकुमार ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन इन खबरों की पार्टी ने आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की है. शिवकुमार ने मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को किसी से नहीं छुपाया. 


सिद्धरमैया की टिप्पणी पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और डिप्‍टी सीएम शिवकुमार ने बेंगलुरु में कहा कि मुख्यमंत्री ने जो कुछ कहा है, वही अंतिम है. उन्‍होंने कहा, ‘‘एक बार मुख्यमंत्री ने कह दिया तो उस पर कोई आपत्ति नहीं है... मुख्यमंत्री जो कहते हैं वही अंतिम होता है. कोई आपत्ति नहीं है, मैं हमेशा कुर्सी (पद) के प्रति वफादार हूं, मैं पार्टी के प्रति वफादार हूं. मुख्यमंत्री ने कहा है- कोई (आगे) सवाल नहीं, कोई चर्चा नहीं, कोई बहस नहीं.’’


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जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें इन चीजों से पीड़ा नहीं होती है तो उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इन सभी बातों का जवाब दे दिया है.’’


जब मुख्यमंत्री से पूछा गया कि क्या मंत्रिमंडल में फेरबदल होने वाला है तो उन्होंने कहा, ‘‘अभी नहीं...’’


जब उनसे पूछा गया कि कुछ विधायक मंत्री पद पाने की चेष्टा में लगे हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार आलाकमान को मुझे निर्देश देना है और मुझे निर्णय लेना है. आलाकमान ने मुझसे कुछ नहीं कहा है और मैंने कुछ नहीं तय किया है.’’


लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल और मंत्रियों के प्रदर्शन के मूल्यांकन को लेकर अटकलें तेज हैं.


मंत्री पद पाने के इच्छुक विधायकों के एक वर्ग की ओर से भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की मांग की गई है. कुछ विधायकों ने तो खुले तौर पर मंत्री बनने की इच्छा भी जताई है.