Cow dung: गोबर अब कचरा या गंदगी नहीं, बनेगा कमाई का जरिया; जानें कैसे
Cow dung: गोबर पर आधारित जैविक उर्वरकों की सामान्य पहचान करने के लिए एनडीडीबी ने सुधन नामक एक ट्रेडमार्क भी रजिस्टर किया है.
Cow Dung Income: दिल्ली में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला ने पूरे देश में खाद प्रबंधन की पहल को आगे बढ़ाने के लिए एनडीडीबी मृदा लिमिटेड की शुरूआत की, एनडीडीबी मृदा लिमिटेड राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है. एनडीडीबी ने डेरी संयंत्रों की बिजली की आवश्यकता की पूर्ति के लिए गाय के गोबर का उपयोग किए जाने की परियोजनाएं भी शुरू की हैं. भारत के प्रधानमंत्री द्वारा 23 दिसंबर, 2021 को वाराणसी में इस तरह की पहली परियोजना की आधारशिला रखी गई थी.
गोबर पर आधारित जैविक उर्वरक
गोबर पर आधारित जैविक उर्वरकों की सामान्य पहचान करने के लिए एनडीडीबी ने सुधन नामक एक ट्रेडमार्क भी रजिस्टर किया है. एनडीडीबी मृदा लिमिटेड डेरी संयंत्रों के लिए खाद मूल्य श्रृंखला, बायोगैस पर आधारित सीएनजी उत्पादन, बायोगैस पर आधारित बिजली उत्पादन को स्थापना की शुरूआत करेगी. वहीं विभिन्न उद्योगों में अनेक उपयोगी सामग्री के रूप में गाय के गोबर का कुशलतापूर्वक उपयोग किए जाने और पारंपरिक लकड़ी, मिट्टी, पेंट इत्यादि के प्रतिस्थापन के तौर इसके उपयोग किए जाने के अवसरों का पता लगाएगी.
गोबर बना आय का जरिया
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला ने बताया, एनडीडीबी द्वारा गोबर के आधार पर काम करने वाली कंपनी को शुरू करना यह अपने आप में एक नई दिशा में कदम है. वहीं वाराणसी में डेरी को चलाने में गोबर के आधार पर ऊर्जा पैदा करके, डेरी के प्रोसेसिंग में जो ऊर्जा की आवश्यकता है, वो गोबर के जरिए काम करने को शुरू कर दिया है. गोबर जिसको आजकल हम कचरा मानते थे या गंदगी का कारण मानते थे, वो अब धन कमाने का कारण बनेगा. इस दिशा में इस कार्यक्रम का महत्व है और 'वेस्ट से वैल्थ' का हमारे प्रधानमंत्री जी का जो आह्वान है उसकी पूर्ति करने की दिशा में भी इस काम को हम मान सकते हैं.
गोबर की बिक्री के जरिए अतिरिक्त आय
उन्होंने आगे कहा, एनडीडीबी मृदा लिमिटेड से डेरी किसानों को गोबर की बिक्री के जरिए अतिरिक्त आय प्राप्ति के साधन उपलब्ध होंगे और खाना पकाने के ईंधन को बायोगैस के साथ प्रतिस्थापित करने से किसानों को धन की बचत होगी. गोवंश के गोबर का उचित उपयोग करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इस संबंध में अधिकांश निजी पहल ही हैं. हालांकि, यह नई कंपनी खाद प्रबंधन को प्रयासों को व्यवस्थित ढंग से प्रोत्साहन प्रदान करेगी.
स्लरी पर आधारित खाद
स्लरी पर आधारित खाद के उपयोग को बढ़ावा देने से धीरे-धीरे जैविक खाद के साथ रासायनिक उर्वरकों के प्रतिस्थापन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत की आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी. इसके साथ ही केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालयान ने कहा, यह अपनी तरह की पहली कंपनी है जो खाद प्रबंधन की मूल्य श्रृंखला बनाकर गोबर के कुशल उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर रही है. इससे डेरी किसानों की आय को बढ़ाने में बहुत योगदान मिलेगा तथा साथ ही स्वच्छ भारत मिशन और हरित ऊर्जा को भी बढ़ावा मिलेगा.
केंद्र सरकार की पहल
एनडीडीबी अध्यक्ष मीनेश शाह ने कहा कि, कुशल गोबर प्रबंधन के लिए किफायती प्रौद्योगिकियों पर अनुसंधान और विकास का कार्य करेगी तथा गाय के गोबर पर आधारित उत्पादों की बिक्री करके ग्रामीण स्तर पर राजस्व सृजन के मॉडल स्थापित करेगी. गोबर-गैस, स्लरी पर आधारित उर्वरकों का निर्माण करने वाली एजेंसियों को विपणन और बिक्री सहायता प्रदान करेगी और डेरी किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन सृजित करने के लिए परियोजनाओं से कार्बन राजस्व अर्जित करने की व्यवस्था स्थापित करेगी. दरअसल केंद्र सरकार का अनुमोदन प्राप्त होने पर एनडीडीबी ने 1 जुलाई 2022 को कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत 9.50 करोड़ रुपये की प्रदत्त पूंजी के साथ एनडीडीबी मृदा लिमिटेड स्थापना की है जो कि एक गैर-सूचीबद्ध पब्लिक लिमिटेड कंपनी है.
(एजेंसी इनपुट)
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