नई दिल्‍ली/चेन्‍नई : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता का सोमवार रात यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह गत 22 सितंबर से अपोलो अस्पताल में भर्ती थीं और कल रात दिल का दौरा पड़ने के बाद जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते हुए आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया। जयललिता राज्य की एक लोकप्रिय नेता थीं, जिन्होंने अपने लोकलुभावन कार्यक्रमों से गरीबों का दिल जीता और पिछले तीन दशक से प्रदेश की राजनीति में एक ध्रुव थीं। आइये आपको बताते हैं जयललिता से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो आपने अब तक नहीं सुनी होंगी।


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-घर की आर्थिक हालत ठीक न होने के चलते उन्‍हें फिल्‍मों में आना पड़ा था।


-जयललिता ने एक हिंदी फिल्‍म में भी काम किया, उसमें धर्मेन्‍द्र अभिनेता थे।  


-जयललिता शुरुआती दिनों में वकील बनना चाहती थीं।


-जयललिता को नेता और अभिनेत्री बनने में रुचि नहीं थी।


-स्‍कूल में पढ़ाई के दौरान जयललिता की फिल्‍मी कैरियर की शुरुआत हो गई थी।


-जयललिता ने 15 साल की उम्र में पहली फिल्‍म की।


-जयललिता ने 3 साल की उम्र में भरत नाट्यम सीखा।


-उन्‍हें अंग्रेजी किताबें पढ़ने का बहुत शौक था।


-जयललिता ने तमिल भाषा में एक उपन्‍यास भी लिखा।


-जयललिता को हरी साड़ी से बहुत लगाव था।


-जयललिता को ज्‍योतिष विद्या और अंक ज्‍योतिष पर बहुत भरोसा था। बहुत से फैसले वह शुभ समय देखकर लेती थीं। उनके अहम फैसले के पीछे ज्योतिषीय गणनाओं का भी बहुत बड़ा हाथ था।


-बहुत कम लोग जानते हैं कि जयललिता बहुत अच्छी हिंदी बोलती थीं। उन्होंने 2007 में इलाहबाद में हिंदी में भाषण देकर विरोधियों को चौंका दिया था।


-जयललिता को क्रिकेट देखने का बहुत शौक था। बताते हैं कि वे दूरबीन लगाकर नारी कांट्रेक्टर व मंसूर अली खान पटौदी को खेलते हुए देखती थीं।


-सिम्मी ग्रेवाल के शो ने जयललिता ने अपनी निजी जिंदगी की बातें शेयर करते हुए क्रिकेटर नारी कॉन्ट्रैक्टर को अपना पहला क्रश बताया था। जयललिता ने कहा था कि वह नारी कॉन्ट्रैक्टर के लिए टेस्ट मैच देखने जाती थी।


-सिम्मी ग्रेवाल के शो में ही जयललिता ने बॉलीवुड स्टार शम्मी कपूर को अपना दूसरा क्रश बताया था. हालांकि, वह कभी शम्मी कपूर से नहीं मिली थीं।


-जयललिता ने शम्मी कपूर की फिल्म 'जंगली' और 'याहू' गीत को अपना ऑल टाइम फेवरेट बताया था।


-इसी इंटरव्यू में जयललिता ने दो आंखे बारह हाथ के गीत 'ऐ मालिक तेरे बंदे हम' गीत को अपना सबसे पसंदीदा गीत बताया था।


-तमिल फिल्मों की सुपर स्टार जयललिता ने केवल एक हिंदी फिल्म इज्जत में काम किया था। इस फिल्म में उनके हीरो धर्मेंद्र थे।


-1982 में एआईएडीएमके की सदस्‍य बनीं और राजनीति में आईं।


-एमजीआर और जयललिता की उम्र में 32 साल का फर्क था।


-जयललिता की लंबे समय तक सबसे विश्वस्त सहयोगी रहीं शशिकला नटराजन उनके साथ पोएस गार्डन में रहती थीं। शशिकला को कुछ समय के लिए पार्टी से निष्कासित भी किया गया लेकिन दोनों फिर से साथ भी हो गई।


-पिछले तीन दशकों से तमिलनाडु की राजनीति में महत्वपूर्ण सितारा रहकर अपनी शर्तों पर राजनीति करने वाली जयललिता तमाम अड़चनों और भ्रष्टाचार के मामलों से झटके के बावजूद वापसी करने में सफल रहीं थीं।


-छठे और सातवें दशक में तमिल सिनेमा में अभिनय का जादू बिखेरनी वाली जयललिता अपने पथप्रदर्शक और सुपरस्टार एमजीआर की विरासत को संभालने के बाद पांच बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं।


-राजनीति में तमाम झंझावतों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी बदौलत अपना मुकाम हासिल किया।


-कर्नाटक के मैसूर में एक ब्राह्मण परिवार में जयललिता का जन्म हुआ था। ब्राह्मण विरोधी मंच पर द्रविड़ आंदोलन के नेता अपने चिर प्रतिद्वंद्वी एम करूणानिधि से उनकी लंबी भिड़ंत हुई।


-राजनीति में 1982 में आने के बाद औपचारिक तौर पर उनकी शुरूआत तब हुयी जब वह अन्नाद्रमुक में शामिल हुयीं।


-वर्ष 1987 में एम जी रामचंद्रन के निधन के बाद पार्टी को चलाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई और उन्होंने व्यापक राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय दिया।


-भ्रष्टाचार के मामलों में 68 वर्षीय जयललिता को दो बार पद छोड़ना पड़ा लेकिन दोनों मौके पर वह नाटकीय तौर पर वापसी करने में सफल रहीं।


-नायिका के तौर पर जयललिता का सफर ‘वेन्निरा अदाई’ (द व्हाइट ड्रेस) से शुरू हुआ।


-राजनीति में उनकी शुरुआत 1982 में हुयी जिसके बाद एमजीआर ने उन्हें अगले साल प्रचार सचिव बना दिया।


-रामचंद्रन ने करिश्माई छवि की अदाकारा-राजनेता को 1984 में राज्यसभा सदस्य बनाया जिनके साथ उन्होंने 28 फिल्में की। 1984 के विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रभार का तब नेतृत्व किया जब अस्वस्थता के कारण प्रचार नहीं कर सके थे।


-वर्ष 1987 में रामचंद्रन के निधन के बाद राजनीति में वह खुलकर सामने आईं लेकिन अन्नाद्रमुक में फूट पड़ गई। ऐतिहासिक राजाजी हॉल में एमजीआर का शव पड़ा हुआ था और द्रमुक के एक नेता ने उन्हें मंच से हटाने की कोशिश की।


-बाद में अन्नाद्रमुक दल दो धड़े में बंट गया जिसे जयललिता और रामचंद्रन की पत्नी जानकी के नाम पर अन्नाद्रमुक (जे) और अन्नाद्रमुक (जा) कहा गया। एमजीआर कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री आर एम वीरप्पन जैसे नेताओं के खेमे की वजह से अन्नाद्रमुक की निर्विवाद प्रमुख बनने की राह में अड़चन आयी और उन्हें भीषण संघर्ष का सामना करना पड़ा।


-जयललिता ने बोदिनायाकन्नूर से 1989 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और सदन में पहली महिला प्रतिपक्ष नेता बनीं।


-राजनीतिक और निजी जीवन में कुछ बदलाव आया जब जयललिता ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ द्रमुक ने उनपर हमला किया और उनको परेशान किया गया।


-रामचंद्रन की मौत के बाद बंट चुकी अन्नाद्रमुक को उन्होंने 1990 में एकजुट कर 1991 में जबरदस्त बहुमत दिलायी।