नई दिल्ली: केंद्रीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने बिहार विधान सभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2020) के लिए तारीखों की घोषणा कर दी है. आयोग ने कहा कि चुनाव करवाना नागरिकों का मौलिक अधिकार है. इसे टाला नहीं जा सकता. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि कोरोना संक्रमण की वजह से दुनिया में 70 से ज्यादा देशों ने अपने देशों में चुनाव टाला है. लेकिन यह लोगों का लोकतांत्रिक हथियार है. इसलिए हम इसे नहीं टालेंगे. बिहार विधान सभा का सत्र 29 नवंबर को खत्म हो रहा है. वहां पर कुल 243 सीटें हैं, जिसमें 38 सीटें SC और 2 सीटें ST के लिए आरक्षित हैं.


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उन्होंने कहा कि कोरोना काल (Coronavirus) में यह सबसे बड़ा और पहला चुनाव होगा. बिहार विधान सभा चुनाव में प्रत्येक बूथ पर 1 हजार मतदाता होंगे. 


बिहार चुनाव में मुद्दों की बात करें तो इस बार जहां सत्ता पक्ष विकास कार्यों, शराब बंदी और वंशवाद मुक्त सरकार की बात कर रहा है तो वहीं विपक्ष महामारी से लेकर बाढ़, पलायन और बेरोजगारी के मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ने की तैयारी में है.  


आईए जानते हैं इस बाहर बिहार चुनाव में बड़े मुद्दे क्या हैं-


-बिहार की राजनीति में कोरोना वायरस अभी एक बड़ा मुद्दा है. एनडीए कोरोना मरीजों को बेहतर सुविधा, क्वारंटाइन सेंटर्स और गरीबों को अनाज देने की बात कह रही है जबकि विपक्षी पार्टियां कोरोना महामारी से सही तरीके से न निपटने के लिए सरकार पर निशाना साध रही हैं. 


-कोरोना काल में मजदूरों का पलायन भी बड़ा चुनावी मुद्दा है. हजारों लोग अलग-अलग शहरों से लॉकडाउन में अपने घर लौटे. उन्हें रोजगार नहीं मिलने पर विपक्ष लगातार हमले कर रहा है. हालांकि कुछ लोग बिहार से उन शहरों में वापस लौटे हैं जहां से आए थे, उन्हें दोबारा काम भी मिला है. 


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-रोजगार भी अहम मुद्दा है. विपक्ष लगातार बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहा है. वहीं सत्ता पक्ष विकास योजनाओं के साथ है.


-बाढ़ से नुकसान भी इस बार बड़ा चुनावी मुद्दा है. सत्ता पक्ष का कहना है कि गरीबों को अनाज मुहैया करवाया गया जबकि विपक्ष का कहना है कि बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है और सरकार इससे निपटने में विफल रही है.   


-बिहार को विशेष पैकेज को लेकर भी चर्चा है. भाजपा का कहना है कि   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य के लिए सवा लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज का वादा किया था. उसे किया है. 


-हाल में पीएम मोदी ने कई रेल परियोजनाओं की शुरुआत की है. सत्ता पक्ष विकास योजनाओं को मुद्दा बना रहा है. जबकि विपक्ष भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है. 


-सत्ता पक्ष लगातार वंशवाद मुक्त स्थिर सरकार की बात कह रहा है. वहीं विपक्ष बेरोजगारी और गरीबी का मुद्दा उठा रहा है.


-सत्ता पक्ष मोदी सरकार के कामकाज, शराब बंदी और महिलाओं को आरक्षण के मुद्दे के साथ चुनावी मैदान में है तो विपक्ष विकासी की धीमी गति और बिगड़ती कानून व्यवस्था का मुद्दा उठा रहा है. 


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