अहमदाबाद: गुजरात सरकार ने राज्य के स्व-वित्तपोषित स्कूलों को निर्देश दिया है कि कोविड-19 की वजह से वे जब तक वे बंद हैं, तब तक छात्रों से ट्यूशन फीस न लें. सरकार ने स्कूलों को 2020-21 शैक्षणिक सत्र के लिए फीस न बढ़ाने का भी निर्देश दिया. राज्य शिक्षा विभाग द्वारा 16 जुलाई को जारी अधिसूचना बुधवार को सार्वजनिक हुई. इसमें कहा गया है कि कोई भी स्कूल फीस जमा न होने पर इस अवधि में पहली से कक्षा से लकर आठवीं कक्षा तक के किसी भी छात्र को निष्कासित नहीं करेगा क्योंकि ऐसा करना शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा-16 का उल्लंघन होगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सरकार ने अधिसूचना में कहा कि इसके अलावा गुजरात उच्च न्यायालय के अनुसार 30 जून तक फीस जमा न करने वाले किसी भी छात्र को निष्कासित नहीं किया जाएगा.


विभाग ने कहा कि अनेक स्कूलों ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान अपने शिक्षण या गैर-शिक्षण स्टाफ को कोई वेतन नहीं दिया है या केवल 40-50 प्रतिशत वेतन दिया है. इसने कहा कि शिक्षण संस्थान परमार्थ संगठन हैं जो समाज को इससे लाभ अर्जित किए बिना शिक्षा प्रदान करने के लिए बने हैं.


ये भी देखें-



विभाग के अनुसार राज्य की शुल्क नियामक समिति लॉकडाउन के दौरान इन स्कूलों द्वारा अपने कर्मियों के वेतन पर किए गए व्यय पर गुजरात स्व-वित्तपोषित स्कूल (शुल्क नियमन) कानून 2017 के तहत विचार करेगी.


इसने कहा कि अभिभावकों द्वारा किए गए फीस के अग्रिम भुगतान को स्कूलों को भविष्य की फीस में समायोजित करना पड़ेगा.