नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिल्ली यूनिवर्सिटी  एक्ट (Delhi University Act) में संशोधन की जरूरत पर जोर देते हुए और अधिक शैक्षणिक संस्थाओं की जरूरत बताई है. अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अंग्रेजों के जमाने के कानून (DU Act) को बदला जाए ताकि नए कॉलेज, यूनिवर्सिटी खोले जा सकें. उन्होंने कॉलेज, यूनिवर्सिटी की कमी को हाई कटऑफ का सबसे बड़ा कारण माना है, जिस वजह से कम नंबर वाले बच्चे एडमिशन से वंचित रह जाते हैं.


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डीयू एक्ट में हो बदलाव
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ब्रिटिश काल के बने दिल्ली विश्वविद्यालय अधिनियम के चलते नए कॉलेज, यूनिवर्सिटी दिल्ली में नहीं खोले जा रहे. इस बाबत केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर इस एक्ट में संशोधन करने की मांग की है ताकि दिल्ली में नए कॉलेज और विश्वविद्यालय खोले जा सकें.


सिर्फ 50 फीसदी बच्चों के लायक सीटें
उन्होंने कहा कि लगातार छात्रों की संख्या बढ़ रही है ऐसे में हमें दिल्ली में कई और कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की आवश्यकता है. हर साल दिल्ली में 2.50 लाख बच्चे 12th पास करते हैं, लेकिन एडमीशन मात्र 1.25 लाख बच्चों को ही मिल पाता है. ऐसी स्थिति में तमाम बच्चे एडमीशन से वंचित रह जाते हैं. दिल्ली के मौजूदा कॉलेजों में पास होने वालों में से सिर्फ 50 फीसदी बच्चों के लिए ही जगह है, ऐसे में बाकी


बाकी बच्चे कहां जाएं?
बीते 30 वर्षों से एक भी नया कॉलेज नहीं
केजरीवाल ने कहा कि डीयू एक्ट 1922 अंग्रेजों ने बनाया था जिसके तहत डीयू बना. डीयू एक्ट में लिखा है, ‘अगर कोई नया कॉलेज दिल्ली में खुलेगा तो वह सिर्फ दिल्ली विश्वविद्यालय से ही मान्यता ले सकता है.’ इसी कारण बीते 30 वर्षों से एक भी नया कॉलेज नहीं खोला गया है. इसलिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल से इस एक्ट में संशोधन की मांग की गई है ताकि दिल्ली में नए कॉलेज व विश्वविद्यालय खोले जा सकें.


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