शिमला/मोहित प्रेम शर्मा: हिमाचल प्रदेश में ज्यादातर सड़क दुर्घटनाओं की वजह वाहन चालकों का नशे में होकर वाहन चलाना है. ये खुलासा खुद राज्य सरकार में परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने किया है .. बकौल परिवहन मंत्री सामने आ रही सडक दुर्घटनाओं में से 90 फीसदी दुर्घटनाओं का कारण ड्राइवर का नशे में रहकर वाहन दौडाना सामने आया है. वहीँ ऐसी दुर्घटनाओं में दुखद है की 90 फीसदी ही 18 से 35 साल के युवा इन दुर्घटनाओं में अपनी जान गवाते हैं. परिवहन मंत्री ने इन सडक दुर्घटनाओं के लिए जहां चालकों की लापरवाही और तकनीकी खामियों को जिम्मेदार ठहराया है.


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तो वहीं उन्होंने इसके लिए लोक निर्माण विभाग, परिवहन विभाग और पुलिस विभाग इन दुर्घटनाओं के लिए उससे भी ज़्यादा ज़िम्मेदार हैं. हाल ही के सालों में नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की सर्वे में हिमाचल प्रदेश, पहाड़ी राज्यों की तुलना सड़क हादसों में सबसे खतरनाक राज्य है. जहां औसतन अन्य पहाड़े राज्यों की तुलना सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं सामने आती हैं.


इस रिपोर्ट के बाद भी सरकार ने सड़क हादसों को रोकने के लिए काफी कोशिशें की थीं लेकिन इन हादसों में कोई ख़ास कमी दर्ज नहीं हो पाई. वहीँ राज्य में एक के बाद एक हो रहीं दुर्घटनाओं के बीच सूखे के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने चौंका देने वाला खुलासा किया है.


गोविन्द ठाकुर ने कहा की दुर्घटनाओं के बाद ज्यादातर मजिस्ट्रेट जांच की ये तथ्य पाया जाता है की हादसे के वक्त वाहन चालक नशे में था. कैबिनेट मंत्री ने कहा की औसतन  में 90 फीसदी दुर्घटना में चालक के नशे में रहने के कारण होती हैं. वहीँ इन दुर्घटनाओं में मारने वाले अधिकतर लोगों की उम्र 18 से 35 साल तक होती है.