लखनऊ: गोरखपुर के निलंबित डॉ. कफील खान ने अब भारत को मानव अधिकारों का उल्लंघन करने वाला देश बताते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) को पत्र लिखा है. कफील खान ने कहा कि भारत में असहमति की आवाज को दबाने के लिए और मानव अधिकारों के उल्लंघन के लिए NSA और UAPA जैसे सख्त कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है. 


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अपने पत्र में खान ने लिखा कि CAA के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने पर UNHRC ने उनके मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए भारत सरकार से आग्रह किया. यह प्रशंसनीय है लेकिन भारत सरकार ने उसकी अपील नहीं सुनी. कफील खान ने योगी सरकार की शिकायत करते हुए लिखा कि पुलिस शक्तियों का उपयोग करते हुए मानव अधिकार के रक्षकों के खिलाफ आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों के तहत आरोप लगाए जा रहे हैं. इससे भारत का गरीब और हाशिए पर रहने वाला समुदाय प्रभावित होगा.


जेल में बिताए दिनों के बारे में खान ने लिखा कि,'मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और कई दिनों तक भोजन-पानी से भी वंचित रखा गया. क्षमता से अधिक कैदियों वाली मथुरा जेल में 7 महीने की कैद के दौरान मुझसे अमानवीय व्यवहार किया गया. सौभाग्य से हाई कोर्ट ने मुझ पर लगाए गए एनएसए और 3 एक्सटेंशन को खारिज कर दिया.


 कफील खान ने अपने पत्र में गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण कई बच्चों की जान जाने के मामले का भी उल्लेख किया. कहा कि बच्चों की मौत के मामले में उसका कोई हाथ नहीं था. इसके बावजूद उसे फंसा दिया गया. इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट उसे बरी कर चुकी है. लेकिन दूसरे मुकदमों की वजह से वह अब भी निलंबित है. 


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