नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 की जंग में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और जनता दल (सेक्लुयर) समेत सभी क्षेत्रीय दल हर एक सीट पर जीत हासिल करने की जद्दोजहद में जुटे हैं, लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जिन पर जीत हमेशा अप्रत्याशित रही है. इन्हीं अप्रत्याशित सीटों में सबसे पहले नाम उडुपी निर्वाचन क्षेत्र का आता है. कर्नाटक विधानसभा सीट संख्या-120 उडुपी निर्वाचन क्षेत्र. उडुपी निर्वाचन क्षेत्र कर्नाटक के तटीय क्षेत्र उडुपी जिले का हिस्सा है. निर्वाचन क्षेत्र में कुल 2,03,804 मतदाता हैं जिनमें आम मतदाता, एनआरआई मतदाता और सेवा मतदाता शामिल हैं.


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सामान्य मतदाताओं में पुरुषों की संख्या 98,759 है तो वहीं महिलाओं की संख्या 1,05,015 है. साथ ही इस निर्वाचन क्षेत्र में तीन अन्य भी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता लिंग अनुपात 106.31 है और अनुमानित साक्षरता दर 90.97 फीसदी है. 2011 के जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार उडुपी जिले में 1,000 पुरुषों पर 1094 महिलाएं हैं, इस निर्वाचन क्षेत्र में लैंगिक अनुपात इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यहां बेटियों के जन्म पर लोगों के बीच जश्न मनाया जाता है. बात करें क्षेत्रीय राजनीति को तो उडुपी विधानसभा क्षेत्र सबसे अप्रत्याशित रहा है. 


यहां पर जनता ने कभी भी किसी एक नेता पर दांव खेलने के बजाए सभी पार्टियों के उम्मीदवारों को मौका दिया है. कांग्रेस के प्रमोद माधवराज ने 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 39,524 वोट (28.55 प्रतिशत) के अंतर के साथ कुल 62.75 फीसदी मत हासिल किए थे.  2013 में सीट में 76.56 फीसदी मतदाता हुआ था. वहीं 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के. रघुपति भट्ट ने इस सीट पर 2,479 वोट (2.1 प्रतिशत) के अंतर से जीत हासिल की थी. इससे पहले भी 2004 विधानसभा चुनाव में भट्ट ने इस सीट पर हासिल कर क्षेत्र में कमल खिलाया था.


कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 में क्षेत्र की सत्ता पर काबिज कांग्रेस विधायक प्रमोद माधवराज एक बार फिर से चुनाव मैदान में हैं. प्रमोद उडुपी के कांग्रेस जिला प्रभारी हैं. प्रमोद की मां मनोरमा माधवराज भी कांग्रेसी नेता थीं, लेकिन 2004 में वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई थीं. सिद्धारमैया सरकार में मत्स्य पालन मंत्री प्रमोद माधवराज के हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ संबंधों में खटास की खबरें आई थीं और उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थी लेकिन प्रमोद द्वारा कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़ने के फैसले ने उन अटकलों पर विराम लगा दिया.


वहीं भाजपा ने दो बार के विधायक के. रघुपति भट्ट को एक बार फिर से कांग्रेस उम्मीदवार और विधायक प्रमोद माधवराज के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है. शिवल्ली ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखने वाले रघुपति भट्ट ने भाजपा सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था. वह उडुपी नगरपालिका परिषद के लिए चुने गए थे और बाद में वह भाजपा युवा मोर्चा (युवा विंग) के जिला अध्यक्ष भी रहे थे.  2004 में उन्हें पहली बार टिकट दिया गया और उन्होंने लगातार दो बार चुनाव जीतकर पार्टी में अपना कद ऊंचा किया.


भट्ट का नाम 2013 में सेक्स सीडी की वजह से चर्चा में आया था. भाजपा के पूर्व विधायक की कथित रूप से यौन गतिविधि में संलिप्त दिखाते हुए एक सीडी सामने आई थी जिसे लेकर काफी बवाल हुआ था. इसके अलावा राज्य में अपनी खोई जमीन तलाशने में जुटी जनता दल (सेक्युलर) ने बिरथी गंगाधर भण्डारी को चुनाव मैदान में उतारा है. 


साथ ही शिवसेना ने मधुकर मुडराडी, ऑल इंडिया ने महिला एम्पावरमेंट पार्टी ने वाई.एस. विश्वनाथ, भारतीय रिपब्लिकन रक्षा ने शेखर हवानजी को अपना उम्मीदवार बनाया है.  क्षेत्रीय दलों के अलावा दो निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में अपनी किस्मत आजमां रहे हैं. ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन पहले ही जनता दल (सेक्युलर) को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुकी है. कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 12 मई को मतदान होगा और मतों की गणना 15 मई को होगी. 


इनपुट आईएएनएस से भी