नई दिल्ली: उत्तरी कर्नाटक को नजरअंदाज करने के आरोपों के चलते चौतरफा दवाब का सामना कर रहे कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के रुख में नरमी दिखने लगी है. उन्होंने उत्तरी कर्नाटक के नाराज लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए बेलगावी को राज्य की दूसरी राजधानी का दर्जा देने का वादा किया है.


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इससे पहले कुमारस्वामी ने कहा था कि वोट देते वक्त ये लोग जाति और पैसा देखते हैं और अब चाहते हैं कि मुख्यमंत्री उनके लिए काम करें. जेडीएस का प्रभाव दक्षिण कर्नाटक में है और इसलिए कुमारस्वामी सरकार पर ये आरोप लग रहे हैं कि वो उत्तर कर्नाटक के विकास पर ध्यान नहीं दे रहे. कुमारस्वामी के बजट में भी आरोप लगे थे कि उसमें दक्षिणी हिस्से के लिए ज्यादा पैसा दिया गया है. इसके बाद राज्य में अलग राज्य की मांग तेज हो गई. हालांकि इसके बाद कुमारस्वामी ने कहा कि मीडिया ने उनकी बात को सही तरह से लोगों के सामने पेश नहीं किया. 


अब अपने रुख में नरमी लाते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि वो बेलगावी को दूसरी राजधानी बनाने के साथ ही कुछ सरकारी विभागों को बेलगावी की सचिवालय भवन में स्थानांतरित करेंगे. ये इस क्षेत्र के लोगों की लंबे समय से मांग थी. इससे पहले 2006 में जेडीएस-बीजेपी सरकार ने बेलगावी को दूसरी राजधानी बनाने का प्रस्ताव एकमत से पारित किया था. ऐसी व्यवस्था महाराष्ट्र और जम्मू कश्मीर में भी है. 


उन्होंने कहा, 'बेलगावी को कर्नाटक की दूसरी राजधानी बनाने का फैसला 2006 में हुआ था, हालांकि बाद की सरकारों ने इस फैसले पर अमल नहीं किया. मैं इस प्रस्ताव पर विचार करूंगा और इसे अमलीजामा पहनाऊंगा.' उन्होंने कहा कि इस कड़ी में सरकार कुछ विभागों को बेलगावी में स्थानांतरित करेगी, ताकि कुंबुगी, बेलगावी और हुबली-धारवाड़ के लोगों को छोटी-छोटी बातों के लिए बेंगलुरू न आना पड़े.


इससे पहले पृथक राज्य आंदोलन समिति के नेताओं ने बेलगावी में कहा था कि वो उत्तर कर्नाटक के कई संगठनों के साथ मिलकर दो अगस्त को बंद करेंगे. इन नेताओं की मांग है कि कर्नाटक के 13 जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य बनाया जाए. अलग राज्य की मांग पहले भी की जाती रही है, लेकिन इसमें अचानक आई तेजी को आगामी लोकसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है. सभी राजनीतिक दल अपना फायदा नुकसान देखकर बयान दे रहे हैं और इस मांग के लिए एक दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं. इन 13 जिलों में कई जिले बॉम्बे कर्नाटक क्षेत्र में आते हैं, यानी ये आजादी से पहले बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा थे.