पेट्रोल-डीजल के दाम कम करने के लिए इस `खास प्लान` पर काम कर रही है महाराष्ट्र सरकार
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि प्रदेश में ईंधन के दामों को कम करने के विभिन्न प्रस्तावों पर हमारी सरकार काम कर रही है.
मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि ईंधन के बढ़ते दामों से लोगों को राहत देने के विभिन्न प्रस्तावों पर प्रदेश सरकार काम कर रही है. फडणवीस ने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाना कीमत कम करने का एक तरीका हो सकता है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में ईंधन के दामों को कम करने के विभिन्न प्रस्तावों पर हमारी सरकार काम कर रही है. उन्होंने कहा कि ईंधन के दाम को नियंत्रण को सबसे बेहतर तरीका इसे जीएसटी के दायरे में लाया जाये. यदि जीएसटी परिषद यह प्रस्ताव लाती है तो महाराष्ट्र इसका समर्थन करेगा. विपक्ष पर निशाना साधते हुए फडणवीस ने कहा कि पहले तीन सालों में राजग सरकार ने पेट्रोल के दामों को 13 दफा कम किया.
दरअसल, डॉलर के मुकाबले गिरते रुपये और कच्चे तेल की ऊंचाई ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग लगा रखी है. पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड हाई पर हैं. तेल कंपनियां लगातार दाम में इजाफा कर रही हैं. पहली बार दिल्ली में पेट्रोल के दाम 80 रुपए को पार कर गए हैं. वहीं, डीजल 72.61 रुपए प्रति लीटर के रिकॉर्ड हाई पर है. पिछले 1 महीने में पेट्रोल-डीजल करीब 5 रुपए महंगा हो चुका है. एक्साइज ड्यूटी में कटौती की मांग से लेकर टैक्स हटाने तक मांग हो रही है. जीएसटी में पेट्रोल-डीजल को लाने पर विचार हो रहा है. लेकिन, निर्णय कुछ नहीं निकला है. सरकार भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर चिंतित है, लेकिन एक्साइज ड्यूटी घटाना या टैक्स हटाने से सरकार को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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उल्लखेनीय है कि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कहा था कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था वाले भारत को पेट्रोल-डीजल में भारी उछाल पर बिना गहराई से सोचे झटके में कोई निर्णय करने से बचाना चाहिए. उनकी बात से लगता है कि सरकार फिलहाल डीजल पेट्रोल पर कर में कोई कटौती करने के मूड में नहीं है. उल्लेखनीय है कि दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमतें शनिवार को पहली बार 80 रुपये प्रति लीटर के स्तर से भी ऊपर निकल गईं.
प्रधान ने वैश्विक आवागमन सम्मेलन ‘मूव’ के दौरान अलग से बातचीत में कहा कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती, उत्पादक देशों द्वारा उत्पादन बढ़ाने का वायदा पूरा न करने तथा ईरान, वेनेजुएला और तुर्की में उत्पादन के बाधित होने के कारण कच्चे तेल की कीमतें ऊंची हुई हैं. उन्होंने कहा, ‘‘एक मजबूत और सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत को बिना सोचे समझे कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। हमें थोड़ा इंतजार करना चाहिए.’’