आसनसोल: हमारे देश में जहां कुछ लोग धर्म की राजनीति कर देश को धर्म के आधार पर बांटने की बात करते हैं. वहीं, इंसानियत और भाईचारे की एक अनोखी मिसाल पेश की है आसनोल के एक मुस्लिम परिवार ने. आसनसोल के सीतारामपुर के गांधीनगर में रहने वाले मोहम्मद सैय्यद खान ने अपने घर पर राजस्थान के सुरेंद्र भगत ले आए और उनकी मौत होने तक उनकी सेवा की. सुरेंद्र भगत कैंसर से पीड़ित थे. दरअसल, मुंबई में सैय्यद खान और राजस्थान के रहने वाले सुरेंद्र भगत अग्रवाल एक ही इलाके में रहते थे और वही से उनकी दोस्ती शुरू हुई. खान की पत्नी को सुरेंद्र भगत अपनी बेटी मानने लगे थे और दोनों की दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि दोनों के बीच पारिवारिक रिश्ते बन गए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


वहीं, एक दिन अचानक सुरेंद्र भगत को मालूम पड़ा कि वो कैंसर से ग्रस्त हैं. उसके बाद राजस्थान में उनकी चिकित्सा शुरू हुई. लेकिन, जब डॉक्टरों ने जवाब दे दिया तो सुरेंद्र ने यह फैसला कर लिया कि वो अपने आखिरी दिन राजस्थान में ना बिताकर अपने दोस्त सैय्यद के घर आसनसोल में बिताएंगे. वह सैय्यद के साथ उनके घर आ गए और वहीं पर अपना इलाज शुरू कर दिया. वहां के स्थानीय डॉक्टर को दिखाकर सैय्यद ने दवाई का इंतेज़ाम किया लेकिन, शुक्रवार को सुरेंद्र भगत की मौत हो गई. सुरेंद्र की मौत के बाद सैय्यद के परिवार ने हिन्दू रीतिरिवाज़ के अनुसार सुरेंद्र की अंतयेष्टि की तैयारी करी. जिसमें इलाके के लोगों ने भी उनकी मदद की. 



सैय्यद ने बताया कि उनकी जितनी सेवा करनी थी मैंने की. उनको मुखाग्नि उनके धर्म के अनुसार दी गई. हम मुसलमान हैं और वो हिन्दू थे. इसके बावजूद हमारे जो सम्बन्ध थे, उसके हिसाब से जो मुझे करना था मैंने किया. उन्होंने कहा कि मैं यही समझाना चाहता हूं कि इंसान हिन्दू मुसलमान करता है, इसमें कुछ नहीं है. भगवान ने सबको एक जैसा ही बनाया है. उन्होंने कहा कि हिन्दू मुसलमान कर के कुछ नहीं होगा, हम लोग एक ही मिट्टी के बने हैं. हम लोग भारतीय हैं और एक साथ रहते हैं. उन्होंने बताया कि सुरेंद्र भगत उनके घर में ही पूजापाठ करते थे. सैय्यद ने कहा कि वह हिंदू धर्म के अनुसार तेरहवीं का अनुष्ठान भी करवाएंगे.