राजस्थान: PCC हियरिंग में पहुंचे अशोक चांदना, CM गहलोत के EWS फैसले की सरहाना की
अशोक चांदना ने कहा है, कौशल विकास की दिशा में उनका विभाग जल्द ही ऐसा प्लेटफॉर्म बनाने जा रहा है जिस पर जरूरत और आपूर्ति एक साथ मौजूद रहेगी. खेलों के विकास को लेकर भी अशोक चांदना ने कहा उनका मकसद है राजस्थान के गांव गांव ढाणी ढाणी की प्रतिभाओं को मंच दिया जा सके.
जयपुर: प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मंगलवार को भी जनता दरबार लगा. खेल मंत्री अशोक चांदना ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नागरिकों की समस्याएं सुनी. अधिकांश समस्याएं तबादलों और उनके विभाग खेल कौशल विकास से जुड़ी हुई थी. चांदना ने कई समस्याओं के लिए मौके पर ही अधिकारियों को निस्तारण के निर्देश दिए. चांदना ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि तबादलों को लेकर नागरिक अभी आ रहे हैं.
हालांकि, सरकार ने पूरा प्रयास किया है लेकिन फिर भी जो कमी रह गई है उसे भी दूर किया जाएगा. अशोक चांदना ने हाइब्रिड फॉर्मूले को लेकर कहा कि राज्य सरकार ने जो फैसला लिया है सोच समझ कर लिया है लेकिन अगर पार्टी आलाकमान कोई बदलाव करता है तो यह उनका अधिकार है. मैं कैबिनेट का हिस्सा नहीं हूं. लिहाजा मुझे इस फैसले के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. अशोक चांदना ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ईडब्ल्यूएस के फैसले की सराहना की और कहा, इससे प्रदेश के बड़े वर्ग के युवाओं को लाभ मिलेगा.
अशोक चांदना ने कहा, उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग की है कि भाजपा सरकार में यूथ कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमों को जल्द से जल्द वापस लिया जाए. इसके अलावा राजनीतिक नियुक्तियों में भी यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता को उचित भागीदारी मिले. अशोक चांदना ने कहा है, कौशल विकास की दिशा में उनका विभाग जल्द ही ऐसा प्लेटफॉर्म बनाने जा रहा है जिस पर जरूरत और आपूर्ति एक साथ मौजूद रहेगी. खेलों के विकास को लेकर भी अशोक चांदना ने कहा उनका मकसद है राजस्थान के गांव गांव ढाणी ढाणी की प्रतिभाओं को मंच दिया जा सके.
अशोक चांदना के बयान से साफ है कि हाइब्रिड फार्मूले को लेकर राजस्थान के सरकार के मंत्री अलग-अलग खेमों में बंट गए हैं. एक वर्ग जहां सचिन पायलट के बयान का समर्थन कर रहा है वही अधिकांश मंत्री ऐसे भी हैं जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस निर्णय से सहमत नजर आ रहे हैं. ऐसे में पार्टी आलाकमान तक जब यह फैसला पहुंचा है तो उनके लिए दोनों पक्षों को सुनकर कोई एक बीच का रास्ता निकालना भी आसान नहीं होगा.