गांधीनगर: सीता का अपहरण किसने किया था? इस सवाल का जवाब देश के हर बच्चे को पता है कि लंकाधिपति रावण सीता को जबरन अपने साथ ले गया था. लेकिन गुजरात बोर्ड की 12वीं कक्षा की संस्कृत की एक किताब बताती है कि सीता का अपहरण रावण ने नहीं, बल्कि राम ने किया था. संस्कृत साहित्य से परिचय कराने वाली किताब (इंट्रोडक्शन टु संस्कृत लिट्रेचर) में पेज नंबर 106 पर एक पैराग्राफ है, जिसमें कुछ ऐसा ही लिखा है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह गलती किताब केे अनुवाद के दौरान हुई, जिसमें रावण की जगह गलती से राम लिख दिया गयाा.


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किताब के उस पन्ने पर लिखा है यह
किताब के उस पन्ने पर लिखा है, "यहां कवि ने अपने मौलिक विचारों के आधार पर राम के चरित्र की एक खूबसूरत तस्वीर पेश की है. जब सीता का अपहरण राम करते हैं तो लक्ष्मण यह संदेश राम को देते हैं, जिसका बेहद मार्मिक वर्णन किया है." यह पैराग्राफ कालिदास के 'रघुवंशम' से लिया गया है. जानकारी के मुताबिक यह गड़बड़ी सिर्फ अंग्रेजी माध्यम के छात्रों की किताबों तक ही सीमित है. गुजराती पाठ्य पुस्तक में यह गड़बड़ी नहीं है.


गुजरात बोर्ड ने मानी गलती, प्रूफ रीडर पर होगी कार्रवाई
गुजरात बोर्ड की इस किताब को लेकर जब विवाद बढ़ा तो पाठ्य पुस्तक मंडल ने अपनी भूल स्वीकार कर ली. वहीं दूसरी ओर गुजरात पाठ्य पुस्तक बोर्ड के चेयरमैन नितिन पेठानी ने कहा, "प्रूफ रीडर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. प्रूफ रीडर को नोटिस दिया जाएगा. प्रूफ रीडर को ब्लैक लिस्ट भी किया जाएगा." नितिन पेठानी ने आगे यह भी कहा कि इस गलती को अभी ऑनलाइन सुधार कर लिया गया है.


किताब देखें तो पैदा होते हैं दो भ्रम
जी मीडिया के हाथ लगी उन दोनों भाषाओं की किताबों को देखें तो दो भ्रम पैदा होते हैं. अंग्रेजी की किताब देखने से लगता है कि यहां सीता अपहरण की बात हो रही है, जिसमें गलती से रावण की जगह राम लिख गया है, जबकि जब हम गुजराती भाषा की पाठ्य पुस्तक देखें तो ऐसा लगता है कि यह प्रसंग सीता परित्याग का है और अंग्रेजी किताब में परित्याग की जगह अपहृत लिख दिया गया है.