सांगानेर के इस निवासी ने राम मंदिर के लिए लिखी 150 किलो की खास रामायण...
शरद माथुर ने कड़ी मेहनत करते हुए लगभग 3000 ए-3 साइज के पन्नों पर बड़े-बड़े अक्षरों रामायण के सभी काण्ड ओर चौपाईयों को लिखा है.
अनूप शर्मा/सांगानेर: सच्चे इरादे और कार्य नेक हो तो मुश्किल से मुश्किल काम भी आसान हो जाता है, ऐसा ही एक मुश्किल काम को अंजाम दिया है राजधानी जयपुर के सांगानेर निवासी शरद माथुर ने. खबर के मुताबिक शरद माथुर ने लाल रंग के ऑयल पेंट से लगभग साढे 6 साल की अथक मेहनत और करीब 3000 पन्नों पर रामायण का लेखन कार्य को पूर्ण किया.
सांगानेर निवासी शरद माथुर ने कड़ी मेहनत करते हुए लगभग 3000 ए-3 साइज के पन्नों पर बड़े-बड़े अक्षरों रामायण के सभी काण्ड ओर चौपाईयों को लिखा है. महाकाव्य के हर काण्ड को अलग-अलग तैयार किया है, जिनका कुल वजन करीब 150 किलो है.
शरद माथुर बताते हैं मोहल्लों में किए जाने वाले सुंदरकांड पाठ मंडली में वह शामिल रहते हैं. बड़े बुजुर्गों को सुंदरकांड पाठ की किताब को पढ़ने में परेशानी होती देख उन्होंने इसका समाधान निकला और बड़े अक्षरों में ऑयल पेंट से रामायण लिखने का विचार किया. माथुर बताते हैं जब इसकी शुरुआत की तो उन्हें लगा कि ये पूरी हो भी पाएगी या नहीं. जैसे ही सुंदरकाण्ड पूरा हुआ तो उनमें आत्मविश्वास और बढ़ गया, फिर उन्होंने पूरी रामयण को ही लिखने की ठान ली.
साथ ही, शरद माथुर ने बताया कि जब उन्होने इसकी शुरुआत की थी उस समय नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने थे. देश भर में अयोध्या राम मंदिर के निर्माण को लेकर आशाएं जगी थी. शरद ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि राम मंदिर का निर्माण जरूर होगा और उनकी इच्छा है कि सम्पूर्ण रामचरित मानस को वहां भेंट देंगे. जिससे वहां जाने वाले श्रद्धालु रामायण का पाठ करें और दूसरों को भी इस और प्रेरित करें.
शरद का मानना है कि शायद देशभर में किसी ने भी ऑयल और ब्रश से रामचरित मानस नहीं लिखी है. इसलिए उन्होंने अपने इस प्रयास को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल करवाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए है. आज के समय में जहां लोग अपने स्वार्थ पूर्ति के कामों में लगे रहते हैं. वहीं, शरद माथुर ने दूसरों की भलाई के लिए इस किताब का निर्माण किया जो कि सभी के लिए एक मिसाल है.