पुरूषोत्तम जोशी/टोंक: सरकारी क्षेत्र की संचार कम्पनी बीएसएनएल इन दिनों भयंकर आर्थिक तंगी से जूझ रही है. आलम यह है टोंक जिले के दर्जनों बीएसएनएल टॉवर्स का बिजली का बिल जमा कराने के लिए भी सरकारी क्षेत्र की संचार कम्पनी के पास पैसा नहीं बचा है. ऐसे आलम में बीएसएनएल को नोटिस दे देकर थक चुके विद्युत विभाग ने अब सख्ती दिखाते हुए कम्पनी के मोबाइल टॉवर्स के विद्युत कनेक्शन्स काटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जिसका असर अब सीधा मोबाइल ग्राहकों पर पड़ रहा है.


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भारत संचार निगम लिमिटेड जिसे आम जनता बीएसएनएल के नाम से जानती है. वैसे तो बीएसएनएल सरकारी क्षेत्र की एक ऐसी संचार कम्पनी है जो देश भर के मोबाइल उपभोक्ताओं में अपनी नई नई स्कीम्स और ऑफर्स के चलते काफी खासी पसन्द भी की जाती है. लेकिन कनेक्टिंग इंडिया की पंच लाइन देने वाली बीएसएनएल के हालात टोंक जिले में बद से बदतर हो गए हैं. टोंक जिले में बीएसएनएल कम्पनी के 90 से भी ज़्यादा मोबाइल टॉवर्स कनेक्शन के करोड़ो रुपए के बिजली बिल बकाया चल रहे है.


आपको जानकर हैरानी होगी कि यह बिल पिछले करीब एक साल से भी ज़्यादा समय से बकाया चल रहे है. ऐसे में टोंक विद्युत विभाग पिछले एक साल में दर्जनों बार बीएसएनएल को नोटिस जारी कर बिजली के बकाया बिलो के भुगतान की मांग करता आया है, लेकिन एक साल से अब तक बीएसएनएल ने अपने 90 से भी ज़्यादा मोबाइल टॉवर्स के विद्युत बिल जमा ही नहीं कराए हैं. ऐसे में विद्युत विभाग ने भी सख्ती दिखाते हुए करीब आधा दर्जन मोबाइल टॉवर्स के कनेशकन काट दिए है. साथ ही विद्युत विभाग ने ओर भमोबाइल टॉवर्स के कनेक्शन काटने की तैयारी शुरू कर दी है.


बीएसएनएल द्वारा बिजली के बिल जमा नहीं कराए जाने और बिजली विभाग ने आधा दर्जन से भी ज्यादा टॉवर्स के कनेक्शन काट दिए है. जिसका सीधा असर आप बीएसएनएल के उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है. टॉवर्स बन्द हो जाने के कारण लोगों को मोबाइल इंटेरनेट सेवा तो दूर अब कोल करने और कॉल रिसीव करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. 


शहरी क्षेत्र में तो बीएसएनएल मोबाइल फोन सेवा पूरी तरह से ठप्प होने के कगार पर आ खड़ी हो गई है. कम्पनी के मोबाइल उपभोक्ताओ को फोन पर बात करने के लिए भी छत पर चढ़ना पड़ रहा है लेकिन फिर भी मोबाइल का नेटवर्क गायब है. लोगों का आरोप है कि शिकायतों के बावजूद भी बीएसएनएल के अधिकारी और कर्मचारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है. उपभोक्ता परेशान है लेकिन फिर भी बीएसएनएल के अधिकारियों के कानों तले जूं भी नही रेंग रही है. ऐसे में अब देखना यह होगा कि आखिर टोंक के बीएसएनएल उपभोक्ताओं को कब तक राहत मिल पाती है.