आतंकी कसाब को फांसी दिलवाने वाले वकील निकम बोले, `कश्मीर से छिने विशेष राज्य का दर्जा`
`जब तक जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस नहीं लिया जाएगा, स्थितियां ऐसी ही रहेंगी. इसलिए सरकार को जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लेना चाहिए.`
जम्मू-कश्मीरः जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के अवन्तीपुरा के गोरीपुरा इलाके में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले पर बात करते हुए जाने-माने वकील उज्जवल निकम ने कहा कि 'देश की सरकार को जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लेना चाहिए. कश्मीर में जो स्थिति है, वह सिर्फ इसलिए है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है. विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने के चलते कश्मीरी जनता को लगता है कि वह पूरे देश से अलग है. देश का कोई नागरिक वहां जाकर अचल संपत्ति नहीं खरीद सकता, जब तक यह स्थिति बदलती नहीं है, वहां ऐसे ही अस्वस्थ माहौल रहेगा. जब तक जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस नहीं लिया जाएगा, स्थितियां ऐसी ही रहेंगी. इसलिए सरकार को जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लेना चाहिए.'
2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के दोषी आतंकी आमिर अजमल कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में उज्जवल निकम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. कसाब को 21 नवंबर, 2012 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई थी. उज्ज्वल निकम ने ही कसाब के खिलाफ वकालत की थी.
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बता दें भारतीय संविधान के आर्टीकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के राजा और भारत सरकार के बीच विलीनीकरण के दौरान हुए नियमों के अनुसार कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला है. जिसके अंतर्गत वहां रहने वाले लोगों को विशेष अधिकार दिए गए हैं. इसके प्रावधान 35 ए के अनुसार कश्मीरी लोगों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. जिसके तहत जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरीयां सिर्फ कश्मीरी लोगों को ही मिलती है. साथ ही साथ जम्मू-कश्मीर से बाहर का व्यक्ति यहां अचल संपत्ति जैसे- जमीन, घर आदि नहीं खरीद सकता है. यहां की अचल संपत्ति पर भी अधिकार स्थानीय कश्मीरियों का ही होता है.
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बता दें कि गुरुवार को जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए हैं. शनिवार को इन शहीद जवानों के पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचाए गए. वहां शहीदों को अंतिम विदाई दी गई है. वहीं पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर से बाहर रह रहे कश्मीरियों को कथित तौर पर दी जा रही धमकियों की खबरों के मद्देनजर श्रीनगर स्थित सीआरपीएफ हेल्पलाइन ने शनिवार को उनसे कहा कि वे किसी भी तरह के उत्पीड़न के मामले उनसे संपर्क करें.