Gyanvapi Masjid Survey: ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे पर रोक जारी, इलाहाबाद हाईकोर्ट 3 अगस्त को सुनाएगा फैसला
Allahabad highcourt on Gyanvapi mosque: ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर रोक जारी रहेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट 3 अगस्त को सर्वे के बारे में फैसला सुनाएगा.
Gyanvapi Mosque Survey: ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर रोक तीन अगस्त तक जारी रहेगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले में तीन अगस्त को फैसला सुनाएगा. इससे पहले बुधवार को अदालत ने सुनवाई 27 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया था.भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वेक्षण पर रोक लगाने की मांग करते हुए, वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति ने अदालत से कहा है कि उसे डर है कि ऐतिहासिक संरचना गिर सकती है. इस पर अदालत की ओर से तीखी प्रतिक्रिया हुई थी. अदालत ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि अगर वे एएसआई के आश्वासन पर भरोसा नहीं कर सकते कि संरचना को कोई नुकसान नहीं होगा तो वे अदालत के फैसले पर कैसे भरोसा करेंगे.अदालत में मामला उठाते हुए मस्जिद समिति ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद 1,000 वर्षों से प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित है.हिंदू पक्ष की इस दलील पर कि वह अयोध्या रामजन्मभूमि मामले में हुए सर्वेक्षण के समान सर्वेक्षण पर भरोसा करता है. मस्जिद समिति ने कहा कि वे परिस्थितियां अलग थीं और उनकी तुलना नहीं की जा सकती है.याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे मंदिर की बात काल्पनिक है. उन्होंने कहा कि कल्पना एएसआई द्वारा सर्वेक्षण की अनुमति देने का आधार नहीं हो सकती.
क्या है हिंदू पक्ष की दलील
हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि राजा टोडरमल के आदेश पर 1585 में उस स्थान पर बनाए गए मंदिर को 1669 में ध्वस्त कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि हिंदू महिलाओं के एक समूह ने अब वहां देवताओं की पूजा करने की अनुमति मांगी है.मस्जिद समिति ने कहा कि महिला याचिकाकर्ताओं ने निचली अदालत को बताया था कि उनके पास मस्जिद परिसर के अंदर हिंदू देवताओं की मौजूदगी का सबूत नहीं है और एएसआई को उन्हें इकट्ठा करना होगा. सर्वेक्षण के लिए निचली अदालत के निर्देश को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. आप किसी और को सबूत इकट्ठा करने के लिए नहीं कह सकते और यह अवैध है.हिंदू पक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि उनके पास सबूत हैं और कहा कि एएसआई सर्वेक्षण को एक विशेषज्ञ की राय के रूप में देखा जा सकता है. जब कोर्ट ने हिंदू पक्ष से पूछा कि क्या खुदाई जरूरी है, तो वकील ने कहा कि हां, लेकिन यह मस्जिद के अंदर नहीं होगा. एएसआई रडार मैपिंग करेगा. अगर परिस्थितियों की मांग हुई तो खुदाई भी की जाएगी, वह भी आखिरी चरण में है.यह खुदाई कैसे की जाएगी, इस पर हिंदू पक्ष की दलीलों के बाद अदालत ने कहा कि या तो आप सर्वेक्षण की वीडियोग्राफी करें या यह कहें कि मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होगा. इस पर हिंदू पक्ष के वकील ने सहमति जताई.
मस्जिद समिति ने क्या कहा था
जब मस्जिद समिति ने कहा कि उसे आश्वासनों पर भरोसा नहीं है, तो अदालत ने जवाब दिया, "जब आप किसी पर भरोसा नहीं करते हैं, तो आप हमारे फैसले पर कैसे भरोसा करेंगे?"कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की इस दलील पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी कि अगर ढांचा गिरा तो हिंदू पक्ष के वकील जिम्मेदार होंगे.जब अदालत ने पूछा कि क्या मस्जिद समिति को डर है कि ढांचा गिर सकता है तो समिति ने जवाब दिया कि ऐसा संभव है, यह 1,000 साल पुराना है.हिंदू पक्ष के इस आश्वासन पर कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सील किए गए क्षेत्र में कोई सर्वेक्षण नहीं किया जाएगा, मस्जिद समिति ने कहा कि यदि सर्वेक्षण किया गया तो क्षेत्र को भी नुकसान होगा.हिंदू पक्ष की इस दलील पर कि एएसआई टीम इंतजार कर रही है, मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने कहा कि आप जो करने जा रहे हैं, उससे संतुष्ट नहीं हूं.उनके यह कहने पर कि ढांचा क्षतिग्रस्त नहीं होगा. उन्होंने पूछा कि क्या आप ड्रिल करने जा रहे हैं या यह वैक्यूम क्लीनर की तरह है? क्या आपने पहले कभी यह काम किया है? जब एएसआई ने कहा कि उनके पास अनुभव है तो मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या उन परियोजनाओं की तस्वीरें हैं.