Success Story: भारत की सबसे कम उम्र की CEO राधिका, कभी जॉब न मिलने पर करने वाली थीं सुसाइड
Success Story: आप काबिल हैं तो सफलता मिलेगी जरूर थोड़ी देर भले हो सकती है. ऐसी ही कहानी है राधिका गुप्ता की. राधिका गुप्ता को अपनी टेढ़ी गर्दन और बोलने के भारतीय लहजे की वजह से बहुत झेलना पड़ा था.
Success Story: आप काबिल हैं तो सफलता मिलेगी जरूर थोड़ी देर भले हो सकती है. ऐसी ही कहानी है राधिका गुप्ता की. राधिका गुप्ता को अपनी टेढ़ी गर्दन और बोलने के भारतीय लहजे की वजह से बहुत झेलना पड़ा था. पढ़ाई पूरी करने के बाद लगातार रिजेक्शन झेलने के बाद उन्होंने आत्महत्या करने तक की कोशिश की. लेकिन जब नौकरी मिली तो उन्होंने पलटकर नहीं देखा. राधिका गुप्ता आज भारती की सबसे कम उम्र की सीईओ हैं. एडलवाइस एमएफ की सीईओ गुप्ता (Edelweiss MF CEO Radhika Gupta) ने अपने संघर्ष के बारे में 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' को बताया है.
गर्दन को लेकर लोग उड़ाते थे मजाक
उन्होंने कहा कि वे टेढ़ी गर्दन के साथ पैदा हुईं. हर तीन साल में उन्हें कई देशों पढ़ाई करनी पड़ी. जब वे सातवीं क्लास में थी तब अन्य बच्चे उनके भारतीय उच्चारण का मजाक उड़ाते थे. राधिका गुप्ता गर्दन की बीमारी टॉर्टिकोलिस पीड़ित हैं. इस बीमारी में गर्दन की मांसपेशियां कस जाती हैं और सिर को एक तरफ मोड़ देती है.
आत्मसम्मान को पहुंचा ठेस
जिसकी वजह से कम उम्र में कई बार उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा. उनकी तुलना उसी स्कूल में काम करने वाली उनकी मां से की गई थी. लोग टिप्पणी करते थे कि वे अपनी मां की तुलना में कितनी अनाकर्षक हैं. समय के साथ उन्होंने इन सब चीजों से बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन ये दूर नहीं हुआ.
आत्महत्या की कोशिश की
जब वे 22 की हुईं और सातवीं बार नौकरी का रिजेक्शन झेला तो उन्होंने अपने हॉस्टल के कमरे आत्महत्या करने की कोशिश की. तब उनके दोस्त ने उन्हें बचाया था. इसके बाद राधिका को मेंटल केयर में रखा गया और उन्हें डिप्रेशन का शिकार बताया गया. राधिका को वहां से केवल तब जाने दिया गया जब उनके पास नौकरी का ऑफर आया और उन्हें इंटरव्यू के लिए जाना था. वो इंटरव्यू के लिए गईं और उन्हें मैकिन्से में नौकरी मिल गई.
खुद की कंपनी शुरू की
तीन साल बाद उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में अपना काम छोड़ दिया और अपने पति और एक दोस्त के साथ अपनी प्रॉपर्टी डीलिंग की कंपनी शुरू की. इसके लिए उन्हें भारत लौटना पड़ा. 2008 के वित्तीय संकट के बाद उन्होंने कुछ नया करने का महसूस किया. 25 साल की उम्र में उन्होंने अमेरिका में छोड़ दिया और भारत शिफ्ट हो गईं.
पेश की कामयाबी की मिसाल
एडलवाइस एमएफ ने कुछ साल बाद उनकी कंपनी खरीद ली. इसके बाद उन्होंने कॉर्पोरेट सेक्टर में अपने तरीके से काम करना शुरू कर दिया. उनके पति ने उन्हें एडलवाइस एमएफ में सीईओ की भूमिका के लिए आवेदन करने के लिए प्रेरित किया. उस वक्त उन्होंने खुद से पूछा कि 'वे मुझे नौकरी क्यों देंगे?' फिर उन्होंने सोचा कि 'इस पद के लिए वे सबसे अच्छी उम्मीदवार हैं. उनके पति ने उन्हें और मजबूती दी. फिर क्या था 33 साल की उम्र में राधिका गुप्ता भारत की सबसे कम उम्र की सीईओ बन गईं.
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