Renaming Commission: शहरों के नाम बदलने वाली याचिका SC ने की खारिज, कहा- हमेशा अतीत के गुलाम नहीं रह सकते
Supreme Court: जस्टिस के एम जोसेफ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि देश, इसकी वर्तमान पीढ़ी अतीत का गुलाम नहीं बनी रह सकती. देश को आगे अभी बहुत कुछ करना और बढ़ना है.
Historical Place Name Change: विदेशी आक्रांताओं के नाम वाले शहरों, गलियों और सड़कों का नाम बदलने को लेकर दायर याचिका अश्विनी उपाध्याय की याचिका सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को खारिज कर दी. अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर याचिका में मांग की गई थी कि सरकार रिनेमिंग कमीशन (Renaming Commission) बनाए, जो हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत वाले जगहों के असली नाम का पता लगाएं.
'देश को आगे बढ़ना है,अतीत में नहीं रहना'
जस्टिस के एम जोसेफ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि देश, इसकी वर्तमान पीढ़ी अतीत का गुलाम नहीं बनी रह सकती. देश को आगे अभी बहुत कुछ करना और बढ़ना है. इस तरह के मसले समाज की शांति और धर्मनिरपेक्ष ढांचे के लिए ठीक नहीं है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये भी कहा कि हिंदुत्व जीवन जीने का तरीका है, इसमें कटुता की कोई जगह नहीं है.
याचिका में इन जगहों का हवाला
अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर याचिका में बेगूसराय, बिहारशरीफ, दरभंगा, हाजीपुर, जमालपुर, अहमदाबाद, होशंगाबाद गाजियाबाद, फिरोजाबाद, फरीदाबाद, गाजीपुर, जौनपुर, आजमगढ़, मुजफ्फरपुर जैसी जगहों का हवाला दिया गया था.
'देश में शांति का माहौल जरूरी'
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर भी सवाल खड़े किए. कोर्ट ने कहा कि आप याचिका में एक समुदाय विशेष की ओर उंगली उठा रहे है. चुनींदा ऐतिहासिक घटनाओ का हवाला देकर एक धर्म विशेष को बर्बर करार दिया गया है. क्या आप चाहते है कि इस तरह के मसलों को जिंदा रखकर देश में अशांति का माहौल बना रहे.
'हिंदू धर्म की महानता को समझिए'
जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि दर्शनशास्त्र के लिहाज से देखें तो हिंदू धर्म सबसे बड़े धर्म से एक है. उपनिषद, वेदों और भगवदगीता गीता में जो आधात्मिक ऊंचाई है, उसकी तुलना मुश्किल है. मैं खुद एक ईसाई हूं, पर हिंदु धर्म बराबर का मेरा पसंदीदा धर्म है. मैं इसका अध्ययन कर रहा हूं. इस धर्म की महानता को समझिए, इसे इस तरह की याचिकाओं के लिए इस्तेमाल नहीं कीजिए. मैं केरल से हूं, जहां हिंदू राजाओं ने चर्च के लिए दान किया है.
'देश ने सबको स्वीकार किया है'
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि भारत को अभी राष्ट्र के तौर पर बहुत सी मुश्किलों से निपटना है. हिंदू दरअसल एक जीवनशैली है, जिसके चलते इस देश ने सबको स्वीकारा है. इसी वजह से हम सब धर्म के लोग साथ रहते आए हैं. अंग्रेजों ने हममें फूट डाली, अब फिर से ऐसे हालत नहीं पैदा होने चाहिए.
'नाम बदलकर ऐतिहासिक सच्चाई को नहीं बदला जा सकता'
अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि इसी स्वभाव के चलते हिंदू कई देशों से- अफगानिस्तान, पाकिस्तान से गायब हो गए. आज देश के कई राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चले है. विदेशी आक्रांताओं को संवैधानिक संरक्षण नहीं दिया जा सकता, सिर्फ देश के नागरिकों को ये हासिल है. सवाल ये है कि औरंगजेब, गौरी और तुगलक का देश से क्या रिश्ता है? कोर्ट ने इस पर कहा कि ये ऐतिहासिक सच्चाई है कि देश ने कई बार विदेशी आक्रांताओं को झेला है. लेकिन, क्या हम शहरों के नाम बदलकर इस इतिहास को बदल सकते है. देश हमेशा अतीत का गुलाम नहीं रह सकता.
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