Supreme Court on Hindenburg Report: अडानी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद शेयर बाजार (Share Market) में मचे बवाल की जांच और मौजूदा नियामक तंत्र की बेहतरी के बारे में सुझाव देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया है. जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी में ओ पी भट्ट, जस्टिस जेपी देवधर, के वी कामथ, नंदन नीलकेणि और सोमसेखर सुंदरेशन शामिल होंगे.


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एक्सपर्ट कमेटी की जांच का दायरा


चीफ जस्टिस डी  वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली कमेटी की जांच का दायरा भी सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है. कोर्ट ने कहा है-


1. कमेटी उन हालातों और वजहों का पूरी तरह मूल्यांकन करेगी जिसके कारण हाल के दिनों में शेयर बाजार में अस्थिरता आई है.


2. कमेटी निवेशकों में जागरूकता को बढ़ावा देने के उपाय सुझाएगी.
 
3. कमेटी जांच करेगी कि क्या अडानी समूह या अन्य कंपनियों के संबंध में शेयर बाजार से संबंधित कानूनों के 'कथित' उल्लंघन से निपटने में नियामक विफलता हुई है.


4. कमेटी सुझाव देगी कि निवेशकों की सुरक्षा से संबंधित मौजूदा नियमों को कैसे मज़बूती से लागू करेगी.


5.कमेटी सुझाव देगी कि भविष्य में वैधानिक व नियामक ढांचे को  कैसे मजबूत किया जाए.


कोर्ट ने कमेटी को दो महीने के अंदर सीलबंद कवर में अपनी रिपोर्ट जमा कराने को कहा है.


सेबी को भी जांच करने का आदेश- 


1. क्या सिक्योरिटीज (कॉन्ट्रैक्ट) रेगुलेशंस नियमों के नियम 19A (न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के रखरखाव से संबंधित) का उल्लंघन हुआ है.


2. सेबी जांच करेगा कि क्या संबंधित पक्षों (अडानी और बाकी के साथ लेनदेन) और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी खुलासा करने में विफलता हुई है.


3. सेबी जांच करेगा कि  क्या शेयर की कीमतों में कोई  हेरफेर किया गया.


4. सेबी अपनी जांच की प्रगति  की रिपोर्ट SC और उसकी ओर से बनाई गई एक्सपर्ट कमिटी को सौंपेगा.


5. SC ने यह भी साफ किया कि उसकी ओर से बनाई गई एक्सपर्ट कमिटी से सेबी की जांच किसी भी तरह प्रभावित नहीं होगी.


कोर्ट में दायर याचिकाओं में मांग


हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर चार याचिकाएं दायर की गई थीं. एडवोकेट एमएल शर्मा  की ओर से दायर याचिका में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की मंशा पर सवाल उठाते हुए एंडरसन और उसके भारत में मौजूद सहयोगियों के खिलाफ जांच की मांग की गई थी. इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि हिंडनबर्ग  रिपोर्ट के जरिये आपराधिक साजिश रची गई ताकि अडानी के शेयरों में आर्टिफिशियल तरीके से गिरावट लाकर खुद शॉट सेलिंग के जरिये मुनाफा कमाया जा सके. वहीं दूसरी ओर वकील विशाल तिवारी की ओर से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच की मांग की गई थी. इसके अलावा मध्यप्रदेश कांग्रेस की नेता जया ठाकुर ने अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच की मांग की थी. उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया गया था कि अडानी ग्रुप के एफपीओ में एलआईसी और एसबीआई 3200 प्रति शेयर दे रहे थे जबकि सेकेंडरी मार्केट में अडानी के शेयरों की खरीद बिक्री 1800 रू के स्तर पर हो रही थी.


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