नई दिल्ली: राज्य सरकारों द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/ST) का उप-वर्गीकरण किया जाना संवैधानिक है या नहीं. क्या राज्य सरकार SC/ST में उप श्रेणियां बनाकर नई जाति को आरक्षण का लाभ दे सकती है? इस मुद्दे को अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की 7 जजों की संवैधानिक बेंच तय करेगी.


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सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने आज गुरुवार को कहा कि राज्य सरकारें आरक्षण के लिए SC/ST समुदाय में भी कैटेगरी बना सकती हैं ताकि SC/ST में आने वाली कुछ जातियों को बाकी के मुकाबले आरक्षण के लिए प्राथमिकता दी जा सके.


ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश केस
इससे पहले साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर एक अन्य केस ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला दिया था कि किसी वर्ग को प्राप्त कोटे के भीतर एक और कोटे की अनुमति नहीं है. लिहाजा आज सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने ये मामला आगे विचार के लिए 7 जजों की बेंच को भेज दिया.


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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले में 5 जजों की राय है कि कोर्ट के साल 2004 के फैसले पर पुर्नविचार की जरूरत है.


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