नई दिल्ली : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पिछले दिनों लगे देश विरोधी नारों को पूरी दुनिया ने देखा। सवाल यह है कि इन नारों को केवल राजनीतिक विरोध के लिए नजरंदाज किया जा रहा है। जो राजनीतिक दल देशद्रोह की हरकतों पर चुप बैठे थे, उन्होंने अब देशद्रोह के आरोपियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई का विरोध करना शुरू कर दिया है। क्या देशद्रोह के आरोपियों को निर्दोष बताना अदालत की टिप्पणी पर सवाल खड़े करना नहीं है। ताल ठोक के विशेष कार्यक्रम में इन्हीं मुद्दों पर देखें और सुनें पैनल चर्चा।


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देखें और सुनें पैनल चर्चा


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पार्ट-2



पार्ट-3



पार्ट-5


पार्ट-6


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