Tamil Nadu News: तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में राज्य में 11 विदेशी नस्ल के कुत्तों की ब्रीडिंग पर बैन लगा दिया है. बैन किए गए नस्लों में पग, सायबेरियन हस्की, और फ्रेंच बुलडॉग जैसी नस्लें शामिल हैं. सरकार का कहना है कि इन कुत्तों को पालना उनके प्रति क्रूरता है क्योंकि वे गर्मी और उमस में ठीक से रह नहीं सकते. असल में इस बैन का मुख्य कारण ही इन नस्लों का ठंडे मौसम का आदी होना है. वैसे भी भारत की गर्म जलवायु में उनके लिए समस्याएं पैदा हो जाती हैं. 


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'सूचना दी जानी चाहिए '


असल में टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक पशु कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने मौजूदा प्रतिबंधित नस्ल के कुत्तों की नसबंदी के बारे में कोई कदम नहीं उठाया है. पशु कार्यकर्ता एंटनी रुबिन का कहना है कि जिन मालिकों के पास पहले से प्रतिबंधित नस्ल के कुत्ते हैं, उन्हें सूचना दी जानी चाहिए और उनकी नसबंदी के लिए एक समय सीमा निर्धारित की जानी चाहिए. 


पालतू कुत्तों की नस्लों 


रिपोर्ट के मुताबिक उधर ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन GCC ने पालतू कुत्तों की नस्लों और उनके मालिकों का डेटा एकत्र किया है, जिससे इस पर कार्रवाई करना आसान हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि सायबेरियन हस्की जैसे कुत्तों को ठंडे माहौल और दौड़ने की जगह की जरूरत होती है, जबकि पग को गर्म मौसम में सांस लेने में कठिनाई हो सकती है. इसके अलावा, पग्स की आंखों के सॉकेट उथले होते हैं, जिससे मामूली चोट में भी उनकी आंखें बाहर आ सकती हैं.


यह भी बताया जाता है कि इन कुत्तों की देखभाल में भी काफी खर्च होता है, और जब मालिक इन्हें उचित माहौल नहीं दे पाते तो उन्हें छोड़ देते हैं, जिससे कुत्तों में बीमारियां और व्यवहार संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं. तमिलनाडु पशु कल्याण बोर्ड की सदस्य श्रुति विनोद राज ने कहा कि पहले उन्हें हर महीने तीन शिकायतें मिलती थीं कि लोग प्रतिबंधित नस्ल के कुत्तों को छोड़ रहे हैं.