DNA: आखिर कश्मीर घाटी में क्यों नहीं थम रहा आतंकी हमला?
Rajouri Attack: राजौरी में सुरक्षाबलों की गाड़ी पर आतंकवादी हमला ऐसे वक्त में हुआ है..जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दो दिन पहले ही दावा किया है कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की कमर टूट चुकी है.
Terrorism In Jammu Kashmir: 5 अगस्त 2019 यानी करीब साढ़े चार साल पहले केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को ख़त्म किया था. तब दावा किया गया था ऐसा करने से जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद का ख़ात्मा हो जायेगा. आतंक ख़त्म होने से शांति स्थापित होगी और जम्मू-कश्मीर विकास की दिशा में आगे बढ़ेगा. देश को बताया गया था कि धारा 370 हटने से घाटी की तस्वीर और तकदीर बदल जायेगी. ऐसे दावे बार-बार किये गये कि घाटी से आतंकियों का सफाया किया जा रहा है. लेकिन इन दावों के बीच आतंकी हमले होते रहे, हमारे जवान भी शहीद हुए. और एक बार फिर ऐसा ही हुआ है.
दो गाड़ियों को निशाना बनाकर हमला
असल में गुरुवार को आतंकियों ने भारतीय सेना की दो गाड़ियों को निशाना बनाकर हमला कर दिया, आतंकियों ने हमला पुंछ-राजौरी Highway पर थानामंडी इलाके में किया. इस हमले में भारतीय सेना के 4 जवान शहीद हो गए. आतंकी हमले में नायक बीरेंद्र सिंह, नायक ड्राइवर करण कुमार, राइफलमैन चंदन कुमार और राइफलमैन गौतम कुमार शहीद हुए. गुरुवार के आतंकी हमले में 3 जवान घायल भी हुए हैं. आतंकियों ने सेना की Jeep और Truck को उस समय निशाना बनाया, जब जवान सुरनकोट और बफलियाज जा रहे थे. दरअसल, 19-20 दिसंबर की रात पुंछ के सुरनकोट में पुलिस कैंप पर जबरदस्त Blast हुआ था. इस धमाके के बाद आतंकियों की तलाश शुरू हुई, Search Operation के लिए Extra Force की मांग की गई थी. इसी Operation में शामिल होने के लिए जवान सुरनकोट जा रहे थे.
- सेना की दोनों गाड़ियां राजौरी से पुंछ के लिए निकली थी, दोपहर करीब 3 बजकर 45 मिनट पर गाड़ियां थानामंडी इलाके में डेरा की गली के पास पहुंची. तभी आतंकियों ने दोनों गाड़ियों पर ताबड़तोड़ Firing कर दी.
राजौरी में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी PAFF यानी People's Anti-Fascist Front नाम के आतंकी संगठन ने ली है, PAFF पाकिस्तान के खूंखार आतंकी मसूद अजहर के संगठन जैश ए मोहम्मद से जुड़ा है. इसी वर्ष जनवरी में गृह मंत्रालय ने इस आतंकी संगठन पर Ban लगा दिया था. राजौरी का थानामंडी क्षेत्र घने जंगल का इलाका है, इस वजह से हमला करने के बाद आतंकी मौके से फरार हो गए और खुद को जंगलों में छिपा लिया. आतंकियों की तलाश में सुरक्षाबल Search Operation चला रहे हैं.
बहुत मुमकिन है कि Search Operation के दौरान आतंकियों को सुरक्षाबल ढेर कर देंगे और शहीद जवानों की शहादत का बदला लेंगे. इस आतंकी हमले को लेकर कहा जा रहा है, कि हमले के पीछे पाकिस्तान और वहां की खुफिया एजेंसी ISI है. जो ऐसे हमलों को कराती है. पाकिस्तान अगर ऐसा कर रहा है, तो उसे रोका नहीं जा सकता. लेकिन घुसपैठ करने वाले आतंकियों को तो समय से ख़त्म किया जा सकता है. सवाल ये है, कि बार-बार आतंकी सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे हैं और हमारे जवान शहीद हो रहे हैं. आखिर कहां चूक हो रही है. इसपर हमने एक Report तैयार की है. इस Report को देखकर आपको हर सवाल का जवाब मिलेगा.
बार-बार ये दावा किया जाता रहा है कि जबसे जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटी है..आतंकवादियों की कमर टूट गई है.. लेकिन फिर बार-बार आतंकवादी...हमारे जवानों की जान ले लेते हैं...
11 अक्टूबर 2021
सुरनकोट में 5 जवान शहीद
14 अक्टूबर 2021
मेंढर में 5 जवान शहीद
11 अगस्त 2022
राजौरी में 5 जवान शहीद
23 नवंबर 2023
राजौरी में 4 सैनिक शहीद
इन सभी घटनाओं में एक बात कॉमन है..सुरक्षाबल..आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर सर्च ऑपरेशन चलाते हैं...और आतंकवादी छिपकर हमला कर देते हैं..और भाग जाते हैं...इस बार भी यही हुआ है...
अब ये एक ट्रेंड बन चुका है कि जम्मू-कश्मीर में जब भी आतंकवादी हमलों में देश के जवान शहीद होते हैं...तो पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगने लगते हैं...पाकिस्तान से बदला लेने की कसमें खाई जाती हैं...लेकिन कोई ये नहीं बताता कि अब तो धारा 370 को हटे हुए भी चार साल हो गये हैं..फिर भी आतंकवादी हमले रुक क्यों नहीं रहे ?
राजौरी में सुरक्षाबलों की गाड़ी पर आतंकवादी हमला ऐसे वक्त में हुआ है..जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दो दिन पहले ही दावा किया है कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की कमर टूट चुकी है...धारा 370 हटे चार साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है . जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले कम जरूर हुए हैं..लेकिन अबतक तो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की कब्र खोद दी जानी चाहिए थी . धारा 370 खत्म होने के बाद भी आखिर पाकिस्तानी सेना और ISI की इतनी हिम्मत कैसे हो रही है कि वो आतंकवादी भेजकर जम्मू-कश्मीर में हमले करवा पा रही है ?
जब भी किसी आतंकवादी घटना में हमारे देश के जांबाज सैनिक शहीद होते हैं..तो कहा जाता है कि शहादत का बदला लिया जाएगा..और जबरदस्त लिया जाएगा...ये बातें कहनें और सुनने में तो बहुत अच्छी लगती हैं...लेकिन जिस परिवार का बेटा..आतंकी हमले में शहीद हुआ है...क्या हमले में शामिल आतंकवादियों को मारकर उनको मिला जिंदगीभर का गम दूर हो सकता है ?
जब भी कश्मीर में कोई आतंकवादी घटना होती है..और आतंकी हमले में सैनिक शहीद होते हैं..तो धारा 370 हटने के बाद आतंकवाद की कमर टूटने जैसे दावे भी दम तोड़ देते हैं. अभी पिछले महीने ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले में भारतीय सेना ने अपने दो कप्तानों समेत पांच सैनिकों को खो दिया था . और अब एक बार फिर आतंकवादियों ने सेना के वाहन पर घात लगाकर हमला कर दिया जिसमें 4 सैनिक शहीद हो गये...
जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं कम जरूर हुई हैं, लेकिन आतंक का पूरी तरह ख़ात्मा नहीं हुआ है. इतना जरूर है कि वर्ष 2021 के बाद से आतंकियों ने अपना Target Area Shift किया है. बीते 2 वर्ष में जम्मू-कश्मीर में जितनी बड़ी आतंकी घटनाएं हुई हैं, वो पुंछ या फिर राजौरी सेक्टर में हुई हैं. यहां आतंकियों ने भारतीय सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर हमला किया.
- पिछले दो वर्षों में पुंछ और राजौरी में 34 जवान शहीद हुए
- जबकि वर्ष 2023 में 19 जवान आतंकी हमलों में शहीद हुए
सूत्रों के मुताबिक पुंछ और राजौरी के इलाके में 25 से 30 पाकिस्तानी आतंकी छिपे हुए हैं, जो सेना की गाड़ियों को निशाना बनाकर हमला करने की फिराक में हैं. इन आतंकियों को पाकिस्तान ने Training के बाद इस क्षेत्र में भेजा है. इस साज़िश में पाकिस्तान के साथ चीन के शामिल होने के सबूत भी मिले हैं.
- इसी वर्ष अप्रैल में पुंछ सेक्टर में आतंकियों ने Army Vehicle को निशाना बनाकर हमला किया था. इस आतंकी हमले में सेना के 5 जवान शहीद हुए थे.
- घटनास्थल से जांच Agency को China में निर्मित 7.62MM की Bullets मिली थी.
- ये ऐसी Bullet थी, जो Bulletproof Jacket और Army Truck की मोटी लोहे की चादर को भेद सकती हैं.
- आतंकियों के पास से चाइनीज वॉकी-टॉकी, Pistol और हैंड ग्रेनेड भी बरामद किये गये थे.
- पाकिस्तान चीन में निर्मित Drone का इस्तेमाल घाटी में आतंकियों को हथियार Supply करने के लिए करता है.
पाकिस्तान घाटी में दहशतगर्दी फैलाता है, और इसमें चीन उसकी मदद करता है. इसके लिए चीन-पाकिस्तान ने पुंछ और राजौरी सेक्टर को Target किया है. दोनों की इस साज़िश के पीछे बड़ी वजह सामने आई है.
- दरअसल, वर्ष 2020 से लद्दाख सेक्टर में भारत और चीन के बीच विवाद है.
- विवाद की वजह से लद्दाख में राष्ट्रीय राइफल्स की Uniform Froce को तैनात किया
- लद्दाख में Uniform Force की तैनाती की वजह चीन की घुसपैठ को रोकना था
- 2020 से पहले Uniform Force पुंछ और राजौरी सेक्टर में तैनात थी
- पुंछ और राजौरी में आतंक फैलाकर चीन लद्दाख से Force को Shift कराना चाहता है
चीन के मंसूबों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान उसकी मदद कर रहा है. बदले में पाकिस्तान को चीन से आतंकियों के लिए आधुनिक हथियार मिल रहे हैं. जिनका इस्तेमाल आतंकी सुरक्षाबलों पर हमलों के लिए कर रहे हैं.
राजौरी और पुंछ सेक्टर में आतंकी घटनाओं में इजाफे की वजह दोनों Sector का PoK से सटा होना है. यहां से पाकिस्तानी सेना के लिए आतंकियों की घुसपैठ कराना आसान है. विश्वसनीय सूत्रों से Zee News को जानकारी मिली है, कि सरहद पार PoK में पाकिस्तान ने चार Launch pad को फिर से Active कर दिया है.
ये चार Launch Pad
- कोटली, लंजोटे, निकेल, खुइरेटा में हैं.
इन Launch Pad पर 250 से 300 आतंकियों की मौजूदगी की ख़बर है. जिन्हें पाकिस्तान घुसपैठ कराकर जम्मू-कश्मीर में बड़े स्तर पर आतंकी वारदातों को अंजाम दिलाना चाहता है. कई आतंकी घुसपैठ को भारतीय सेना ने नाकाम भी किया.
आतंकियों ने राजौरी और पुंछ सेक्टर में कई बार सुरक्षाबलों को निशाना बनाया है, हमला करने के बाद आतंकी फरार हो जाते हैं. कई बार ऐसा हुआ जब कई दिन के Search Operation के बाद भी आतंकियों का पता नहीं चला.
ताजा आतंकी हमले में भी अबतक ऐसा ही है, आतंकी हमला करके फरार हो गए. पुंछ और राजौरी में सेना के लिए आतंकियों के खिलाफ Operation आसान नहीं होता, इसकी कई वजह हैं.
- पहली वजह ये कि दोनों जिलों में घने जंगल हैं, जो आतंकियों के लिए Safe Shelter बनते हैं.
- दूसरी वजह दोनों जिलों में कई ऐसी प्राकृतिक गुफाएं हैं, जिनका इस्तेमाल आतंकी छिपने के लिए करते हैं.
राजौरी के डेरा की गली से बफलियाज के बीच 12 किलोमीटर का जंगल इतना घना है, कि यहां गाड़ी लेकर घुसना आसान नहीं है. इसी इलाके के थानामंडी में आतंकियों ने गुरुवार को सेना को निशाना बनाकर हमला किया
आतंकी हमला करने के बाद इन्हीं घने जंगलों में छिप जाते हैं, जिन्हें तलाश करना आसान नहीं रहता. क्योंकि, आतंकी घात लगाकर हमला करते हैं. इसी के साथ आतंकी प्राकृतिक गुफाओं में छिप जाते हैं. वर्ष 2021 में भाटाधुलियां जंगल में सुरक्षाबलों पर हमले के बाद 21 दिनों तक Search Operation चला था, लेकिन आतंकियों का कोई सुराग नहीं मिला था.
- राजौरी और पुंछ का एक हिस्सा PoK यानी Pakistan occupied Kashmir से जुड़ता है.
- PoK करीब तैतालिस सौ वर्ग किलोमीटर में फैला इलाका है.
- सेना के Search Operation के दौरान कई बार आतंकी बॉर्डर पार कर वापस पाकिस्तान भाग जाते हैं.
वर्ष 1990 से 2001 के बीच पुंछ और राजौरी सेक्टर में आतंकवाद चरम पर था, तब अप्रैल-मई 2003 में सेना ने Operation सर्प शुरू किया. जिसके तहत बड़े स्तर पर आतंकियों का ख़ात्मा किया गया. वर्ष 2020 तक आतंकी घटनाएं तो हुई. लेकिन इतने बड़े स्तर पर नहीं जैसा की पिछले 2 वर्षों में हुआ है. गुरुवार का आतंकी हमला इसी कड़ी का हिस्सा है, जिसमें आतंकी सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे हैं.