नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को इस विषय पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है कि ताजमहल शाहजहां द्वारा बनवाया गया एक मकबरा है या शिव मंदिर है, जिसे एक राजपूत राजा ने मुगल बादशाह को तोहफे में दिया था. यह सवाल एक आरटीआई अर्जी के जरिये सीआईसी पहुंचा और अब यह संस्कृति मंत्रालय के पास है. सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यलु ने एक हालिया आदेश में कहा कि मंत्रालय को इस मुद्दे पर विवाद खत्म करना चाहिए और सफेद संगमरमर से बने इस ऐतिहासिक मकबरे के बारे में संदेह दूर करना चाहिए.  


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दुनिया का सातवां अजूबा


गौरतलब है कि ताजमहल को दुनिया के सात अजूबों में एक माना जाता है. मुगल बादशाह शाहजहां (1628—1658) ने अपनी बेगम अर्जुमंद बानो बेगम (मुमताज महल) की याद में इसे बनवाया था.(मुमताज महल) की याद में इसे बनवाया था.
आचार्यलु ने सिफारिश की है कि मंत्रालय ताजमहल की उत्पत्ति से जुड़े मामलों पर अपने रूख के बारे में और इतिहासकार पीएन ओक तथा अधिवक्ता योगेश सक्सेना के लेखन के आधार पर अक्सर किए जाने वाले दावों पर जानकारी दे. उन्होंने जिक्र किया कि उच्चतम न्यायालय सहित अदालतों में कुछ मामले खारिज कर दिए गए, जबकि कुछ लंबित हैं.


स्मारक ताजमहल है या है मकबरा


आचार्यलु ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के कुछ मामलों में एक पक्षकार होने के नाते उसके पास अवश्य ही वे जवाबी हलफनामे होने चाहिएं जो उसकी ओर से और संस्कृति मंत्रालय द्वारा दाखिल किए गए थे. उन्होंने कहा कि आयोग एएसआई को  30 अगस्त 2017 से पहले उन प्रतियों को वादी को अतिरिक्त शुल्क के साथ साझा करने का निर्देश देता है. दरअसल, बीकेएसआर अयंगर नाम के एक व्यक्ति ने आरटीआई कानून के तहत एएसआई को एक अजीर् देकर यह पूछा था कि आगरा में स्थित यह स्मारक ताजमहल है या तेजो महालय है.


ताजमहल मकबरा नहीं


अयंगर ने कहा था कि कई लोग यह कहते हैं कि ताजमहल कोई ताजमहल मकबरा नहीं , बल्कि तेजो महालय है. इसका मतलब यह है कि इसे शाहजहां ने नहीं बनवाया था बल्कि राजा मान सिंह ने इसे तोहफे में दिया था. इसलिए साक्ष्यों के साथ एएसआई रिपोर्ट- ब्योरे के मुताबिक तथ्य दिए जाएं. एएसआई ने उनसे कहा था कि उसके पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है.