Farmers Protest में देशद्रोह के आरोपियों की एंट्री, स्टेज पर लगा खालिद-शरजील का बैनर
नए कृषि कानूनों (New Farm Law) के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) में देशविरोधी ताकतें भी अपने पांव जमाने की कोशिश कर रही हैं. टीकरी बॉर्डर पर चल रहे किसानों के ऐसे ही धरने में देशद्रोह आरोपियों का बैनर दिखने से नया विवाद छिड़ गया है.
नई दिल्ली: संसद से पारित नए कृषि कानूनों (New Farm Law) के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) में खालिस्तानी और जिहादी संगठन भी अपनी पैठ बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं. दिल्ली की टीकरी बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों के स्टेज पर गुरुवार को आपत्तिजनक बैनर लगा दिखाई दिया. इस बैनर में जेल में बंद देशद्रोह के आरोपियों को क्रांति का नायक बताते हुए रिहा करने की मांग की गई थी.
टीकरी बॉर्डर पर दिखा देशद्रोह आरोपियों का लगाया बैनर
जानकारी के मुताबिक टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन (Farmers Protest) के नाम पर भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां (Bhartiya Kisan Union Integration Ugrahan) भी अपना धरना दे रहा है. इस संगठन ने बॉर्डर के पास ही अपना स्टेज बना रखा है. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर गुरुवार को स्टेज पर एक बैनर लगाया गया था. इस बैनर में जेल में बंद देशद्रोह के तमाम आरोपियों के नाम थे.
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उमर खालिद, शरजील इमाम, गौतम नवलखा के फोटो
बैनर में दंगा आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम (Sharjeel Imam), गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव और आनंद तेलतुंबडे जैसे एक्टिविस्ट के फोटो लगे थे. साथ ही उस पर लिखा था कि झूठे केसों में गिरफ्तार बुद्धिजीवियों और विद्यार्थियों को रिहा करो. वहां मौजूद लोगों ने किसान आंदोलन के नाम पर इन आरोपियों की रिहाई के नारे भी लगाए.
आज भी लगा हुआ है स्टेज पर बैनर
हैरानी की बात ये है कि ये बैनर अब भी बिना किसी डर के स्टेज पर लगा हुआ है. जबकि तमाम आरोपियों पर देश तोड़ने, देश में सांप्रदायिक सदभाव बिगाड़ने, जिहाद की साजिश करने और आतंकी गतिविधियों के षडयंत्र के आरोप में मुकदमे दर्ज हैं और ये सब देश की अलग-अलग जेलों में बंद हैं. इनमें से कुछ जमानत पर छूट गए हैं, जबकि कई अब भी जेलों में बंद हैं.
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आरोपियों के समर्थन में किसानों की नारेबाजी
देशद्रोह आरोपियों को अपनी गतिविधियों के लिए मंच देने वाले भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां (Bhartiya Kisan Union Integration Ugrahan) के कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए कहा कि इन लोगों ने जन और जंगल की लड़ाई लड़ी है. इसलिए सरकार ने इन्हें गलत फंसा दिया है. लोगों ने कहा कि सरकार को इन सामाजिक कार्यकर्ताओं को जल्द से जल्द रिहा कर देना चाहिए.
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