नई दिल्ली: एक साथ दी जानी वाली ट्रिपल तलाक़ को रोकने के लिए जहां मोदी सरकार कानून बनाने के लिए संसद में लगातार कोशिश कर रही है, वही तीन तलाक मुद्दे पर मुसलमानो के बड़े संग़ठन जमीयत उलेमा ए हिन्द ने कहा है, कि भारत के संविधान में दिए गए अधिकारों के तहत मुसलमानों के धार्मिक एवं परिवारिक मामलों में सरकार या संसद को दखल देने का अधिकार नही हैं, क्योंकि मजहबी आजादी हमारा बुनियादी हक हैं जिसका जिक्र संविधान की धारा 25 से 28 में दी गई हैं, इसलिए मुसलमान ऐसा कोई भी कानून जिससे शरीयत में हस्तक्षेप होता है स्वीकार नही करेगा.


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मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के अलावा 68% तलाक गैर मुस्लिमो में होता हैं और 32% तमाम समुदायों में लेकिन सरकार का ये दोहरा रवैया समझ से परे हैं. देश के वर्तमान हालात पर चर्चा के लिए जमीयत उलेमा हिंद की वर्किंग कमेटी की अहम बैठक हुई.


बैठक के अहम मुद्दों में बाबरी मस्जिद, असम नागरिकता और वर्तमान में आए दिन हो रही मॉब लिंचिंग रही. बैठक में मौलाना अरशद मदनी ने मॉब लिंचिंग पर अल्पसंख्यक समुदाय विशेषकर मुस्लिम और दलित समुदाय पर हो रहे हमलों पर कहा कि वर्तमान स्थिति विभाजन के समय से भी बद्तर और खतरनाक हो चुकी है और ये संविधान के वर्चस्व को चुनौती एवम न्याय व्यवस्था पर सवालिया निशान हैं.


झारखंड वर्तमान भारत में मॉब लिंचिंग की एक शर्मनाक प्रयोगशाला बन चुकी है और अब तक 19 मासूम बेकसूर लोग इसके शिकार हो चुके है जिसमें 11 मुस्लिम समुदाय एवम अन्य दलित समुदाय से सम्बंधित हैं. इससे भी चिंता की बात ये हैं कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद मानवता और भाईचारे पर यह दरिंदगी रुकने का नाम नही ले रही हैं,


जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने 17 जुलाई 2018 के आदेश में स्पष्ट कहा है कि कोई भी व्यक्ति अपने हाथ में कानून नही ले सकता और केंद्र सरकार को ऐसी घटनाएं रोकने के लिए संसद में कड़े कानून बनाये लेकिन अभी तक इस तरह की घटनाएं अनवरत हो रही है.


मौलाना अरशद  मदनी ने कहा, कि जमीयत उलेमा हिन्द इन घटनाओ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपनी लड़ाई लड़ेगा और झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुकी हैं, इसके साथ ही हर पीड़ित परिवार के साथ जमीयत मदद के लिए खड़ी हैं.


मौलाना ने कश्मीर समस्या पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कश्मीर समस्या का एक मात्र हल आपसी बातचीत और आपसी भाईचारे को बढ़ावा देना हैं. NRC के मुद्दे पर जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट में रिट पटीशन दाखिल की है जिसमें नागरिकता साबित करने का वक़्त 15 दिन से बढाकर 30 दिन किया जाए.


बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर जमीयत ने कहा कि कानून एवं प्रमाण के अनुसार सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्णय देगी हम उसको मानेंगे और कोर्ट के निर्णय का सम्मान करेंगे.