प्रसार भारती की सेंसरशिप पर भड़के माणिक सरकार, केंद्र पर साधा निशाना, बीजेपी ने किया बचाव
माकपा ने इस कदम को अधिकारों का हनन करार दिया है.
अगरतला: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने बुधवार को स्वतंत्रता दिवस पर दिया गया अपना भाषण प्रसारित न करने को लेकर सरकारी प्रसारणकर्ता प्रसार भारती की निंदा की और इसे 'अलोकतांत्रिक, तानाशाही और असहिष्णु' कदम करार दिया. राज्य में विपक्षी दल कांग्रेस ने भी मुख्यमंत्री का भाषण प्रसारित न करने को लेकर प्रसार भारती की आलोचना की है, जबकि राज्य में अगली सरकार बनाने की आस लगाए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रसार भारती का बचाव किया है.
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया है कि ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) और दूरदर्शन केंद्र (डीडीके), अगरतला ने 12 अगस्त को सरकार का भाषण रिकॉर्ड किया था, जिसे 15 अगस्त को प्रसारित किया जाना था.
भाषण में काट-छांट की जरूरत
वक्तव्य में कहा गया है, "14 अगस्त की शाम एआईआर के नई दिल्ली में नियुक्त सहायक कार्यक्रम निदेशक (नीति) संजीव दोसाझ और प्रसार भारती के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय से यू. के. साहू ने अलग-अलग संदेश भेजकर मुख्यमंत्री कार्यालय को सूचित किया कि पूरा भाषण ज्यों का त्यों प्रसारित नहीं किया जा सकता." वक्तव्य में आगे कहा गया है, "एआईआर और प्रसार भारती के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के भाषण में मौके की गरिमा भारतवासियों की भावनाओं के अनुकूल कांट-छांट का सुझाव दिया. मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में किसी तरह की कांट-छांट को अस्वीकार कर दिया."
प्रसार भारती और एआईआर ने पिछले साल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की पोलित ब्यूरो के सदस्य और बीते 19 वर्षों से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री सरकार का भाषण प्रसारित किया था.
त्रिपुरा की जनता का हुआ अपमान
माकपा के राज्य सचिव बिजान धर ने मीडिया से कहा, "आज (बुधवार को) वाम मोर्चा के नेताओं ने बैठक की और प्रसार भारती के फैसले की कड़ी निंदा की." उन्होंने कहा कि यह कदम बताता है कि कैसे केंद्र की भाजपा सरकार के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) देश के सभी शीर्ष संस्थानों को नियंत्रित कर रहा है. माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य धर ने कहा, "इससे त्रिपुरा की जनता का अपमान हुआ है."
सरकार आपातकाल लागू करने की कोशिश में है
वाम मोर्चा ने राज्य में लोगों से 'प्रसार भारती के इस अलोकतांत्रिक एवं तानाशाही फैसले' के खिलाफ विरोध प्रदर्शित करने का आह्वान किया है. कांग्रेस की प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष तापस डे ने कहा, "जो लोग 1975 में आपातकाल लगाए जाने का विरोध कर रहे थे, वे इसे अब लागू करने की कोशिश कर रहे हैं." डे ने यहां पत्रकारों से कहा, "यह असहिष्णुता और तानाशाही की निशानी है. नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वे इस तरह की हर चीज के लिए केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की आलोचना करते थे. और अब केंद्र में खुद उनकी सरकार एक दूसरे राज्य के निर्वाचित मुख्यमंत्री की आवाज दबा रही है."
भाजपा प्रवक्ता ने दिया ये जवाब
वहीं भाजपा की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता मृणाल कांति देब ने कहा कि मुख्यमंत्री को 'इस बात की समझ' ही नहीं है कि कब और कहां क्या बोलना चाहिए. देब ने कहा, "स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय महत्व वाले दिन मुख्यमंत्री के भाषण में राष्ट्रीय एकता, राष्ट्रीय सुरक्षा, शांति एवं विकास की बात होनी चाहिए. राष्ट्रीय दिवस पर दिए भाषण में वह केंद्र सरकार की आलोचना नहीं कर सकते."
माकपा पोलित ब्यूरो ने मंगलवार को नई दिल्ली में एक वक्तव्य जारी कर प्रसार भारती के इस फैसले को मुख्यमंत्री के स्वतंत्रता दिवस पर अपने राज्य वासियों को संबोधित करने के अधिकार का गंभीर हनन कहा था.