नई दिल्ली: देश में नागरिकता कानून के खिलाफ यूपी में कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन हुए. उसके बाद पुलिस ने उपद्रवियों पर कड़ा एक्शन लिया लेकिन अब पुलिस के अफसर ही सवालों के घेरे में है. मेरठ के एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह के वायरल वीडियो का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. वीडियो में मेरठ के एसपी सिटी अखिलेश नारायण लोगों को धमकाते हुए कहते नजर आ रहे हैं कि चले जाओ पाकिस्तान, खाओगे यहां का और गाओगे के कहीं और का. 


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अब एसपी सिटी ने वायरल वीडियो पर सफाई दी और कहा कि कुछ लोग 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगा रहे थे तो जवाब में उन्होने पाकिस्तान जाने की बात कही लेकिन मामला अब सियासी रंग लेता नजर आ रहा है. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि बीजेपी ने संवैधानिक संस्थाओं में सांप्रदायिक ज़हर घोल दिया है. वहीं उमा भारती ने कहा कि राहुल और प्रियंका को इसे मुद्दा बनाते वक्त नहीं भूलना चाहिए कि पुलिस वालों के भी परिवार होते हैं लेकिन सवाल उठता है कि 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' के नारे लगाने वालों को क्या कहे पुलिस? पुलिस और पब्लिक की लड़ाई में मजहब वाली 'सियासत' क्यों? उपद्रवियों से निपटने में पुलिस कब तक दे संयम का इम्तिहान?  


मेरठ में पुलिस से घमासान तो जाओ पाकिस्तान?
एसपी सिटी, मेरठ अखिलेश नारायण का कहना है कि कुछ लोग उत्पात करने के चक्कर में थे, उस दिन काफी बवाल चल रहा था, जिसमें कुछ लड़के हम लोगों को देखते ही पाकिस्तान ज़िंदाबाद बोलते ही गली में भाग गए, कुछ लोग मिल गए, उनको डांटा फटकारा गया. मेरठ ज़ोन के ADG प्रशांत कुमार ने कहा कि वहां भारत विरोधी नारे लग रहे थे पड़ोसी देश ज़िंदाबाद के नारे लग रहे थे. ऐसी स्थिति में अधिकारियों ने सिर्फ यही वहां बोला है, आपको अगर जाना है जाएं लेकिन पत्थरबाज़ी ना करें और मैंने पहचान लिया है लोगों को. 


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पुलिस और पब्लिक की लड़ाई में मजहब वाली 'सियासत' क्यों?
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि बीजेपी ने संवैधानिक संस्थाओं में सांप्रदायिक ज़हर घोला है. जेडीयू महासचिव केसी त्यागी का कहना है कि यूपी सरकार को मेरठ के एसपी सिटी को तुरंत हटाना चाहिए. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का कहना है कि कोई भी अधिकारी हो उसको बर्खास्त कर देना चाहिए. उधर, बीजेपी नेता उमा भारती ने कहा कि मैं मेरठ पुलिस के एसपी सिटी अखिलेश सिंह के साथ हूं. राहुल और प्रियंका इसे मुद्दा बनाते वक्त भूल गए, कि पुलिस वालों के भी परिवार होते हैं. 


उपद्रवियों से निपटने में पुलिस कब तक दे संयम का इम्तिहान?
बीजेपी नेता विजय सोनकर शास्त्री ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "नहीं करना चाहिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल, लेकिन परिस्थितियों को अगर देखा जाये तो वहां जिस तरह का वातावरण था उसमें प्रशासन और ख़ास तौर से पुलिस के कर्मचारी जूझ रहे थे."