Turtle Surgery: यह तो आप जानते ही होंगे कि कछुए की पीठ यानी खोल काफी मजबूत होती है. हालांकि यूपी के बरेली में एक्सपर्ट्स के पास एक ऐसा कछुआ लाया गया, जो बुरी तरह जख्मी हो चुका था. जी हां, उसकी खोल टूट गई थी. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट्स ने इस लुप्तप्राय कछुए के टूटे खोल को सिलने के लिए जो तरीका अपनाया, वो जानकर आप हैरान रह जाएंगे. उन्होंने सुपरग्लू और ब्लाउज हुक का इस्तेमाल कर इस कछुए की जान बचा ली. 


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संकट में था कछुआ


उस कछुए को किसी कार ने कुचल दिया था. इन एक्सपर्ट्स के पास हड्डी के सर्जन डॉक्टरों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला चिपकने वाला पदार्थ नहीं था और कछुए की जान संकट में थी. देर होती तो उसकी जान जा सकती थी. ऐसे में खोल में आई दरारों को ठीक करने के लिए सुपरग्लू का इस्तेमाल करने का फैसला किया गया. 


TOI की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. कमलेश कुमार और पशु चिकित्सा संस्थान की टीम के दूसरे सदस्यों के साथ मिलकर डॉ. अभिजीत पावडे ने यह ऑपरेशन किया. फिलहाल बदायूं के एक पुनर्वास केंद्र में कछुए को निगरानी में रखा गया है. उसकी तबीयत पर लगातार नजर रखी जा रही है. भारतीय फ्लैपशेल कछुए (Indian Flapshell Turtle) को IUCN (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर) की वन्यजीव प्रजातियों की रेड लिस्ट में खतरे में या असुरक्षित जीव के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. इस कछुए को बदायूं के पशु कार्यकर्ता वोकेंद्र शर्मा ने बचाया. वह सोमवार को इसे बरेली लाए थे. 


मादा कछुआ, गर्भ में 7 अंडे थे


कछुए का इलाज करने वाली टीम के एक सदस्य ने बताया, 'घायल कछुए को सोमवार शाम करीब 4.35 बजे हमारे केंद्र में लाया गया था. उस समय यह जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही थी. यह एक मादा थी जिसके गर्भ में सात अंडे थे. उसकी जान बचाने के लिए हमें तुरंत सर्जरी करनी पड़ी. हड्डी के सर्जन जो चिपकने वाला पदार्थ इस्तेमाल करते हैं, वह यहां उपलब्ध नहीं था. जैसे-जैसे टाइम निकल रहा था, कछुए की हालत बिगड़ रही थी. ऐसे में हमने विकल्प के रूप में सुपरग्लू का उपयोग किया क्योंकि यह भी एक साइनोएक्रिलेट एडहेसिव है.'


ब्लाउज हुक से क्या किया?


पशु चिकित्सक ने आगे कहा, 'हमने ब्लाउज हुक का भी इस्तेमाल किया और एडहेसिव लगाकर दरार वाले खोल के दोनों हिस्से को ठीक किया. इसके बाद ऑर्थोपेडिक वायर की मदद से क्रैक को बांधा गया. कछुआ नाजुक था इसलिए एनेस्थीसिया की सही मात्रा जरूरी थी. हर प्रक्रिया सही रही और सर्जरी सफल रही. हमने पशु अधिकार कार्यकर्ता से कछुए की स्थिति के बारे में हमें अपडेट देने के लिए कहा है.'


साइनोएक्रिलेट्स औद्योगिक, चिकित्सा और घरेलू उपयोग वाले मजबूत और तेजी से चिपकने वाली चीजों को कहते हैं. ये एथिल साइनोएक्रिलेट और संबंधित एस्टर से प्राप्त होते हैं.


वोकेंद्र शर्मा ने कहा, 'मुझे एक घायल कछुए के बारे में फोन आया था और मैंने उसे गंभीर हालत में बचा लिया. उसका खोल फट गया था और खून बह रहा था. मैं अपनी टीम के सदस्यों के साथ और वन विभाग की मदद से घायल कछुए को IVRI बरेली ले गया. प्रक्रिया के बाद कछुए की स्थिति में काफी सुधार है और मुझे उम्मीद है कि यह जल्द ही पूरी तरह से ठीक हो जाएगा.'