5 दिनों में दो बार भिड़ीं भारतीय और चीनी सेना, सिक्किम से पहले लद्दाख में भी हुई थी झड़प
सूत्रों के मुताबिक, 5 और 6 मई की दरम्यानी रात लद्दाख में पेंगांग झील की किनारे फिंगर 5 इलाके में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हाथापाई और पत्थरबाजी हुई.
नई दिल्ली: केवल पूर्वी सीमा पर सिक्किम में ही नहीं भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच उत्तरी सीमा पर भी झड़प हुई है. सूत्रों के मुताबिक, 5 और 6 मई की दरम्यानी रात लद्दाख में पेंगांग झील की किनारे फिंगर 5 इलाके में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हाथापाई और पत्थरबाजी हुई. दोनों ही तरफ के कुछ सैनिकों के हल्की चोट आने की भी खबरें हैं.
ये इलाका विवादित है और 1962 में इस इलाके में घमासान लड़ाई हुई थी. दो साल पहले भी यहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच में झड़प हुई थी. दोनों देशों के बीच ऐसे संघर्षों की स्थिति में हालात को सामान्य करने के लिए एक प्रक्रिया बनाई गई है जिसके तहत स्थानीय कमान स्तर पर इन हालात को ठीक किया जाता है. सूत्रों का दावा है कि कमांडरों की बातचीत के बाद ये मामला सुलझ गया है लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है.
चीन बार-बार सीमा विवाद का मुद्दा उठाने की कोशिश करता है. आपको समझाते हैं भारत-चीन के बीच सीमा कितनी लंबी है और किन-किन राज्यों से गुजरती है.
- भारत और चीन के बीच 3488 किमी. लंबी सीमा है.
- चीन की सीमा लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड से लगती है.
- सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से भी चीन की सीमा लगती है.
- चीन ने PoK के 5180 वर्ग किमी. पर कब्जा कर रखा है.
- 1963 में पाकिस्तान ने अवैध रूप से कश्मीर का हिस्सा चीन को सौंपा है.
- कश्मीर के जिस हिस्से पर चीन का कब्जा वो अक्साई चीन है.
चीन सावधान, ये है '2020' का हिंदुस्तान
भारत और चीन का सीमा विवाद बहुत पुराना है. सीमा विवाद का मुद्दा बनाकर चीन हमेशा से भारत के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाने की कोशिश करता रहा है लेकिन भारत ने हमेशा चीन को उसी के अंदाज में जवाब दिया है. पिछले दिनों पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर PoK और गिलगित बाल्टिस्तान को लेकर भारत ने जो कदम उठाया है, लगता है उससे चीन बौखला गया है.
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बॉर्डर तक सड़क बनाने से भी बढ़ी चीन की बौखलाहट?
भारत ने कैलाश मानसरोवर जाने के लिए उत्तराखंड के घाटियाबगढ़ से चीन सीमा के पास लिपुलेख तक 80 किलोमीटर तक नया रास्ता तैयार कर दिया है. हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस रास्ते का उद्घाटन भी किया है. वैसे तो ये रास्ता कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्रियों के लिए है लेकिन इस रास्ते का सामरिक और रणनीतिक महत्त्व भी है. इस रास्ते के जरिए चीन की सीमा तक सेना की पहुंच भी आसान हो जाएगी. इस सड़क के बनने के कारण भी चीन की बौखलाहट बढ़ गई है लेकिन चीन को ये समझ लेना चाहिए कि अब भारत 1962 वाला नहीं बल्कि 2020 का नया भारत है, जो दुश्मन की हर हिमाकत का जवाब उसी अंदाज में देना जानता है.